भारतीय सेना का हर जवान देश की सुरक्षा के लिए समर्पित, बलिदान को तैयार- लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी
आज विजय दिवस है. आज के ही दिन घुसपैठ के जवाब में देश के वीर जवानों ने पाकिस्तान को हराया था. इस मौके पर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि भारतीय सेना का हर जवान देश की सुरक्षा के लिए समर्पित है.
Kargil Vijay Diwas 2022: आज विजय दिवस है, आज ही के दिन भारतीय वीरों ने पाकिस्तानी सैनिकों के सीने को छलनी करते हुए कारगिल युद्ध में जीत हासिल की थी. कारगिल विजय दिवस की 23वीं वर्षगांठ पर पूरे भारतवासी अपने वीर योद्धाओं को नमन कर रहा है. ऐसे में जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा, मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं कि भारतीय सेना का हर जवान देश की सुरक्षा के लिए समर्पित है और किसी भी चुनौती का सामना करने और किसी भी बलिदान के लिए हमेशा तैयार है. उन्होंने आगे कहा, भारतीय सेना की वीरता और जीत के आगे पूरा देश नतमस्तक है. #KargilVijayDiwas के माध्यम से हम उनके बलिदान को कृतज्ञता की भावना के साथ याद करते हैं.
कारगिल विजय दिवस की सशस्त्र बलों की असाधारण वीरता
वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी कहा, ‘कारगिल विजय दिवस’ सशस्त्र बलों की असाधारण वीरता का प्रतीक है और लोग भारत माता की रक्षा करने के लिए अपना जीवन कुर्बान करने वाले वीर जवानों के हमेशा ऋणी रहेंगे. भारतीय सेना ने लद्दाख में करगिल के ऊंचे पतर्वतीय इलाकों में करीब तीन महीने चले युद्ध के बाद जीत की घोषणा करते हुए 26 जुलाई 1999 को ‘ऑपरेशन विजय’ की सफलता का एलान किया था. भारत की जीत को याद करने लिए 26 जुलाई को ‘करगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है.
I assure the countrymen that every jawan of the Indian Army is dedicated to the security of the nation and always ready to face any challenge and make any sacrifice: General Officer Commanding-in-Chief (GOC-in-C) Northern Command, Lt General Upendra Dwivedi, in Drass, Kargil pic.twitter.com/WH8L8jYE4y
— ANI (@ANI) July 26, 2022
द्रौपदी मुर्मू ने ट्वीट कर कही ये बात
द्रौपदी मुर्मू ने ट्वीट कर कहा, ”करगिल विजय दिवस हमारे सशस्त्र बलों की असाधारण वीरता, पराक्रम और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है. भारत माता की रक्षा करने के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले सभी वीर सैनिकों को मैं नमन करती हूं. सभी देशवासी इन शहीदों और उनके परिजनों के प्रति सदैव ऋणी रहेंगे. जय हिंद.” करगिल युद्ध में देश से 500 से अधिक जवान शहीद हुए थे.
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20 जून 1999 को शुरू हुआ था अभियान
20 जून 1999 की घुप्प अंधेरी भयानक रात थी. कैप्टन बीएम कारिअप्पा और उनकी सैन्य टुकड़ी को जम्मू-कश्मीर के प्वाइंट 5203 को पाकिस्तानी दुश्मनों से छुड़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गई. इस प्वाइंट पर दुश्मन कब्जा जमाए बैठा था. इस प्वाइंट को दुश्मनों की चंगुल से छुड़ाने के लिए पहले भी कई कोशिशें विफल हो चुकी थीं. कैप्टन कारिअप्पा और उनकी टीम नौ घंटे की चढ़ाई के बाद दुश्मन के कब्जे वाली प्वाइंट पर पहुंची. निर्धारित प्वाइंट पर पहुंचते ही दुश्मनों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी.