वो 20 जून 1999 की रात थी, जब कैप्टन बीएम कारिअप्पा और उनकी बटालियन को जम्मू कश्मीर के प्वाइंट 5203 को पाकिस्तानी दुश्मनों से छुड़ाने की जिम्मेदारी सौंपी गयी. इस प्वाइंट पर दुश्मन कब्जा करके बैठे थे और इस प्वाइंट को छुड़ाने की कोशिश पहले विफल हो चुकी थी. कैप्टन कारिअप्पा और उनकी टीम नौ घंटे की चढ़ाई चढ़कर प्वाइंट पर पहुंची. दुश्मनों ने उनपर लगातार फायरिंग की.
कैप्टन कारिअप्पा ने दुश्मन पर इस हमले का नेतृत्व किया और दुश्मनों पर ग्रेनेड दागे. इस हमले में दुश्मनों के दो जवान मारे गये. कैप्टन कारिअप्पा की असाधारण बहादुरी और उनके शानदार नेतृत्व में उनकी टीम ने दुश्मनों से इस प्वाइंट को मुक्त करा लिया था. 21 जून 1999 को प्वाइंट 5203 पर एक बार फिर भारतीय तिरंगा लहरा रहा था और यह सबकुछ संभव हो पाया था कैप्टन कारिअप्पा के अदम्य साहस और बहादुरी के कारण.
कारगिल युद्ध की इस याद को ताजा करते हुए अब ब्रिग्रेडियर हो चुके एम सी कारिअप्पा ने प्रभात खबर से कहा कि इस वार में मैंने और मेरी टीम ने दो पहाड़ी पर कब्जा किया था. पहला 21 जून की रात को प्वाइंट 5203 और दूसरा 22-23 जुलाई की रात को लाइन ऑफ कंट्रोल पर एरिया कोनिकल. 22-23 जुलाई की रात को मैं और मेरी बटालियन खड़ी चढ़ाई को चढ़ते हुई एरिया कोनिकल पहुंची.
23 July 1999. Capt BM Cariappa and his column were tasked to capture Area Conical at LoC. Despite being wounded he shot dead many enemies, neutralised their position and captured the area. For his valour and devotion, awarded #VirChakra @PIB_India @SpokespersonMoD pic.twitter.com/d2kftQH3M0
— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) July 23, 2018
चढ़ाई चढ़ते वक्त कैप्टन कारिअप्पा के गरदन पर चोट लग गयी, बावजूद इसके कैप्टन कारिअप्पा रेंगते हुए चढ़ाई पर चढ़े और सुरक्षित स्थान पर पहुंचे. वहां उन्होंने दुश्मनों के दो जवानों को मार गिराया. उसके बाद अपनी बहादुरी से उन्होंने उस स्थान को दुश्मनों से मुक्त कराया और अपनी जमीन पर से दुश्मनों को खदेड़ा. इस दौरान अपनी बटालियन का हौसला बढ़ाने के लिए वे हर-हर महादेव का जयघोष भी करते थे, जो उनके रेजीमेंट का नारा है. इस अभियान पर दुश्मनों ने दो बार उनपर हमला किया, लेकिन उसे कैप्टन कारिअप्पा ने विफल कर दिया. कैप्टन कारिअप्पा के इस अदम्य साहस और वीरता के लिए उन्हें वीर चक्र से नवाजा गया.
कैप्टन कारिअप्पा भारतीय सेना के पैराशूट रेजिमेंट के अधिकारी हैं. इस रेजीमेंट के जवान काफी कर्तव्यपरायण और फुर्तीले होते हैं. इस रेजिमेंट ने सर्जिकल स्ट्राइक में भी हिस्सा लिया था. इन्हें वर्ष 2000 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर वीर चक्र से सम्मानित किया गया था. कैप्टन कारिअप्पा कर्नाटक के कूर्ग जिले के रहने वाले हैं, जिसे भारत का स्कॉटलैंड कहा जाता है. उनके पिता का नाम बीसी मुथन्ना और मां का जया मुथन्ना है. कैप्टन करियप्पा जब कारगिल युद्ध के लिए भेजे गये थे, उससे पहले उनकी मां का देहांत हुआ था और वे अपनी मां का अंतिम संस्कार करने के बाद सीधे युद्ध के मैदान पर पहुंचे थे.
कैप्टन कारिअप्पा को सेना के कई मेडल मिल चुके हैं. वीर चक्र के अलावा उन्हें सियाचिन में एक ऑपरेशन ने लिए सेना मेडल मिला है. नॉर्थ ईस्ट में भी एक ऑपरेशन के लिए उन्हें पदक मिला है. साथ ही जिम्मेदारी पूर्वक काम करने के लिए उन्हें सेना के दो और मेडल भी मिले हैं. कैप्टन कारिअप्पा को इस बात का गर्व है कि उन्हें कारगिल युद्ध में शामिल होने का मौका मिला है.
Posted By : Rajneesh Anand