कर्नाटक का चुनाव कल समाप्त हो गया. लेकिन उससे पहले हाईकोर्ट ने मतदाताओं को वोटिंग के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य एक बड़ा फैसला सुनाया. दरअसल अदालत ने मतदान देने के बाद होटलों को फ्री में खाना परोसने की इजाजत दे दी.
बेंगलुरु के होटल मालिकों की ओर से मतदाताओं को वोटिंग की ओर रुझान बढ़ाने के उद्देश्य से मतदान के बाद मुफ्त भोजन परोसने का ऑफर दिया. जिस पर बेंगलुरु नगर पालिका ने आपत्ति जताते हुए इस फैसले पर रोक लगा दी. राज्य निर्वाचन आयोग ने इस पर कड़ा रुख अख्तियार करते हुए होटल संचालकों को कड़ी चेतावनी दे डाली. इसके बाद होटल ओनर्स एसोसिएशन और नैसर्ग ग्रैंड होटल के मालिकों ने इसके खिलाफ अदालत में चुनौती दी.
इसके बाद न्यायलय ने इस संबंध दिये गये चुनाव आयोग और बेंगलुरु नगर पालिका के आदेश को रद्द कर दिया. होटल मालिकों की ओर से पेश वकील सतीश भट्ट ने कहा कि मतदाताओं के बीच जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से ये प्रस्ताव पेश किया गया. अगर मतदान से थोड़ी देर पहले ये प्रस्ताव दिया जाता तो ये लालच होता.
लेकिन मतदाताओं की उंगली में काली स्याही जांचने के बाद भोजन परोसा जायेगा. ये दलील सुनने के बाद कोर्ट ने खाना परोसने की इजाजत दे दी. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि, “अगर वे प्रेस या मीडिया के माध्यम से इस तरह के किसी भी लाभ का दावा करते हैं, तो वे आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के लिए मुकदमा चलाने के लिए उत्तरदायी होंगे.” इधर, नैसर्ग ग्रैंड होटल के मालिक ने कृष्ण राज एसपी ने अदालत के इस फैसले का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि मतदान के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ये कदम उठाया गया था. राज्य के कई होटलों ने इस प्रकार की पहल की थी.
चुनाव आयोग की आचार संहिता को मानें तो चुनाव से पहले राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के कई तरह के नियम बनाये गये हैं. अगर इसके तहत वे किसी भी प्रकार के लालच संबंधी किसी पेशकश नहीं कर सकते. ये नियम इसलिए लागू है कि ताकि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से कराया जा सके.