98 लोगों को एक साथ उम्रकैद की सजा, जानिए क्यों?

Karnataka Court: देश के इतिहास में शायद ऐसा पहली पहली हुआ है जब अदालत ने दलितों पर अत्याचार के एक मामले में सामूहिक रूप से लोगों को उम्रकैद की सजा सुना दी है.

By Aman Kumar Pandey | October 25, 2024 5:49 PM

Karnataka Court: देश के इतिहास में शायद ऐसा पहली पहली हुआ है जब अदालत ने दलितों पर अत्याचार के एक मामले में सामूहिक रूप से लोगों को उम्रकैद की सजा सुना दी है. कर्नाटक राज्य के एक सेशन कोर्ट या फिर सत्र न्यायालय (Sessions Court) ने 98 लोगों को एक साथ उम्रकैद की सजा सुनाई है. साल 2014 के भेदभाव और जातिगत हिंसा (Discrimination and caste violence) के इस मामले में सेशन कोर्ट ने 3 अन्य को 5-5 साल कैद की सजा सुनाई है. 10 साल पुराने यह मामला गंगावटी तालुक के माराकुंबी गांव का है, जहां पर दलितों को टारगेट करके हमला करने और उनके साथ भेदभाव का मामला सामने आया था.

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101 लोगों को सजा, 98 को उम्रकैद

जज चंद्रशेखर सी ने भेदभाव और जातिगत हिंसा मामले में कुल 101 लोगों को दोषी करार दिया था. इसमें से 3 को कम सजा दी गई. ऐसा इसलिए क्योंकि उन तीनों के खिलाफ एससी-एसटी ऐक्ट 1989 (SC-ST Act 1989) नहीं लगाया जा सका. दरअसल वे तीनों भी दलित समाज से ही संबंध रखते हैं. सूत्रों का कहना है कि देश में ऐसा पहली बार है जब दलितों पर अत्याचार के मामले में इतने ज्यादा लोगों को एक साथ यानी सामूहिक रूप से सजा सुनाई गई है.

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सरकारी वकील अपर्णा बुंडी ने बताया कि इस मामले में 117 लोगों के खिलाफ केस दर्ज करके मुकदमा चलाया गया था. 29 अगस्त 2014 को पुलिस में एक शिकायत की गई थी. इस शिकायत में दलितों पर अत्याचार और उनके घरों में आग लगा देने की जानकारी दी गई. इस हिंसा के 3 महीने बाद तक माराकुंबी गांव में पुलिस की टीम तैनात थी. कर्नाटक राज्य दलित अधिकार समिति (Karnataka State Dalit Rights Committee) ने इस, मुद्दे पर आंदोलन किया था. इसके बाद कई दिनों गंगावटी पुलिस स्टेशन (Gangavathi Police Station) को सीज कर दिया गया था. जानकारी के लिए बता दें कि इस मामले की चार्जशीट में शामिल लोगों में से 16 की केस के सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई. सभी दोषियों को बल्लारी जेल में बंद किया गया है और उन सभी पर 5 हजार से लेकर 2000 का जुर्माना भी लगाया गया है.

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