Karnataka Election Results: ‘दक्षिण का द्वार’ कहे जाने कर्नाटक में कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन किया है जिससे पार्टी को ‘संजीवनी’ मिल गयी है. प्रदेश से भाजपा अब सत्ता से बाहर हो गयी है. कांग्रेस ने स्पष्ट बहुमत हासिल कर राज्य में 10 साल बाद अपने दम पर सत्ता में वापसी की है जिससे कार्यकर्ताओं में नया जोश भर गया है. कांग्रेस नेता भी जानते हैं कि ये जीत लोकसभा चुनाव से पहले उनके लिए काफी अहम है. 1989 के विधानसभा चुनाव के बाद यह कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत मानी जा रही है. इस तरह राज्य में किसी सत्तारूढ़ पार्टी के लगातार दूसरी बार सत्ता में वापस नहीं होने का 38 साल पुराना रिवाज एक बार फिर कायम रहा.
वर्ष 2019 में पाला बदल कर भाजपा की सरकार बनाने में मदद करने वाले आठ विधायकों को हार का सामना करना पड़ा है. कांग्रेस के 13 और जेडीएस के तीन विधायकों ने 2019 में कर्नाटक विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था, जिससे एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस और जेडीएस की 14 महीने पुरानी गठबंधन सरकार गिर गयी थी. बाद में स्पीकर द्वारा अयोग्य घोषित किये गये 16 विधायक भाजपा में शामिल हो गये. इनमें से अधिकांश ने 2019 में उपचुनाव लड़ा और जीत कर बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में मंत्री भी बने.
निवर्तमान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के कई मंत्रियों का हार का सामना करना पड़ा. विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े भी चुनाव हार गये हैं. जो मंत्री चुनाव हारे हैं, उनमें गोविंदा करजोल (मुधोल), मधुस्वामी (चिकनैकानाहल्ली), बीसी पाटील (हिरेकेरूर), शंकर पाटील (नवलगुंड), हलप्पा आचार (येलबुर्गा), बी श्रीरामुलु (बेल्लारी), के सुधाकर (चिक्कबल्लापुरा), बीसी नागेश (टिप्तुर), मुरुगेश निरानी (बिल्गी) और एमटीबी नागराज (होसकोटे) शामिल हैं.
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1985 के बाद से कर्नाटक में कभी भी कोई सत्ताधारी दल चुनाव जीत कर सत्ता में वापसी नहीं कर सका है. इस चुनाव को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दोनों पार्टियों के लिए अग्नि परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है. इधर, कांग्रेस ने अपनी इस जीत का बड़ा श्रेय भारत जोड़ो यात्रा को भी दिया है. खास बात है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद ऐसा पहली बार है, जब कांग्रेस ने अपने सिकुड़ते जनाधार के बीच एक बड़े राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा को हराया है.
भाषा इनपुट के साथ