केरल में एक तरफ जहां कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ यहां निपाह वायरस के मामले भी देखने को मिल रहे हैं. यह वायरस इतना खतरनाक है कि इससे केरल में केरल के कोझीकोड में एक 12 वर्षीय लड़के की जान जा चुकी है.
यह वायरस और न बढ़े, इसको लेकर कर्नाटक सरकार ने मंगलवार को एक एडवाइजरी जारी की. एडवाइजरी में सीमावर्ती जिलों को और निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही जिला अधिकारियों को केरल से आने वालों में बुखार, परिवर्तित मानसिक स्थिति, गंभीर कमजोरी, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, खांसी, उल्टी, मांसपेशियों में दर्द, ऐंठन और दस्त जैसे लक्षणों की निगरानी करने के लिए कहा गया है.
एडवाइजरी में, कर्नाटक सरकार ने जिला अधिकारियों से निपाह के प्रकोप का जल्द पता लगाने के साथ एन्सेफलाइटिस मामलों के समूहों की पहचान करने के लिए एक व्यवस्थित निगरानी प्रणाली विकसित करने के लिए भी कहा है. उन्हें इस संबंध में जन जागरूकता फैलाने के लिए भी कहा गया है. एडवाइजरी में आगे कहा गया, संदिग्ध या संभावित रोगियों से सभी आवश्यक सावधानियों के साथ उपयुक्त नमूने एकत्र किए जाए. बाद में उसे प्रयोगशाला में पुष्टि के लिए एनआईवी पुणे भेजा जाए.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, निपाह एक जूनोटिक वायरस है, जो जानवरों से मनुष्यों में फैलता है. चमगादड़ इस वायरस के प्रमुख वाहक हैं. यह वायरस चमगादड़ और सूअर से फैलता है. यह सिर्फ इंसानों के लिए ही नहीं बल्कि जानवरों के लिए भी घातक हैं.
निपाह वायरस से संक्रमित लोगों में कोविड जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं. निपाह वायरस के सामान्य लक्षण खांसी, गले में खराश, चक्कर आना, उनींदापन, मांसपेशियों में दर्द, थकान और एन्सेफलाइटिस हैं.
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, साल 1999 में पहली बार निपाह वायरस मलेशिया में देखा गया था. भारत में 2001 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में पाया गया था. वहीं 2018 में इसके कई मामले दर्ज किए थे.