कर्नाटक के हिजाब विवाद में आज शाम पांच बजे तक सुनवाई चली लेकिन कोर्ट ने कोई फैसला नहीं सुनाया है. कल दोपहर 2.30 बजे हाईकोर्ट में फिर सुनवाई होगी. गौरतलब है कि शिक्षण संस्थानों में हिजाब को बैन किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गयी है. इस मसले पर तीन सदस्यीय बेंच सुनवाई कर रही है.
कर्नाटक में हिजाब विवाद के बीच आज कॉलेजों को भी खोल दिया गया है. प्रदेश में कई जगहों पर कॉलेज और स्कूल परिसर के 200 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू कर दी गयी है. एसजेएमवी कॉलेज की तरफ से जानकारी दी गयी है कि हम हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश का पालन करवाने की कोशिश कर रहे हैं, जिसमें यह कहा गया है कि कोई भी स्टूडेंट धार्मिक प्रतीक चिह्न पहनकर स्कूल या कॉलेज नहीं आयेंगे. लेकिन अभी भी कुछ विद्यार्थी हिजाब के साथ आ रहे हैं और वे हिजाब हटाने को तैयार नहीं इसलिए हमने आज एक दिन की छुट्टी घोषित कर दी है.
एक स्कूली छात्रा ने कहा कि हम पढ़ाई के लिए स्कूल आये हैं, लेकिन स्कूल प्रशासन हमसे हिजाब और बुर्का हटाने को कह रहा है. हम बुर्का हटा सकते हैं, लेकिन हिजाब नहीं. वहीं स्कूल खुलने पर कई अभिभावक और स्कूल प्रबंधन से उलझते नजर आये और कहा कि वे परीक्षा छोड़ देंगे लेकिन पहनना नहीं छोड़ेंगे.
गौरतलब है कि कर्नाटक में आज से सभी स्कूल और कॉलेज खोल दिये गये हैं. मुख्यमंत्री वासवराज बोम्मई ने कहा कि प्रदेश में स्थिति शांतिपूर्ण है. प्रदेश के गृहमंत्री ने बताया कि इस बात का खास ध्यान रखा जा रहा है कि हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन ना हो. कुल मिलाकर स्थिति शांतिपूर्ण है, कुछेक स्थानों पर हिजाब ना हटाने की बात कही गयी थी और कुछ स्थानों पर मुस्लिम महिलाओं ने हिजाब को अनुमति देने की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया गया था.
कर्नाटक में हिजाब विवाद तब गरमा गया जब उडुपी और मांड्या जिले में हिजाब बैन का विरोध करते हुए मुस्लिम लड़कियां स्कूलों और कॉलेजों में आने और उनका विरोध करने के लिए हिंदू विद्यार्थी भगवा स्कॉर्फ पहनकर स्कूल-कॉलेज पहुंचे. दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी भी की.
कुछ लड़कियों ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब को अनुमति देने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया और कहा कि उन्हें हिजाब पहनने की अनुमति दी जाये. हिजाब पर बैन उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. कल कोर्ट में सुनवाई के दौरान लड़कियों ने अपने वकील के जरिये कहा कि हिजाब उनकी धार्मिक आस्था का प्रतीक है, धार्मिक कट्टरता का नहीं.
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