Hijab Row: कर्नाटक में जारी रहेगा हिजाब पर प्रतिबंध, सुप्रीम कोर्ट के खंडित फैसले पर क्या बोले ओवैसी
सुप्रीम कोर्ट में हिजाब बैन पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सुधांशु धूलिया ने हिजाब को स्वीकार किया और कहा कि यह पसंद का मामला है. जस्टिस धूलिया ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने गलत रास्ता अपनाया.
कर्नाटक हिजाब मामला और उलझता नजर आ रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में खंडित फैसला सुनाया. कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर लगा प्रतिबंध हटाने से इनकार करने वाले कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें एक जज ने याचिका को खारिज कर दिया, तो दूसरे ने हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया. अब इस संवेदनशील मामले को प्रधान न्यायाधीश के पास भेज दिया गया है, ताकि एक वृहद पीठ का गठन किया जा सके.
कर्नाटक हिजाब मामले में क्या बोले ओवैसी
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कर्नाटक हिजाब बैन मामले में सुप्रीम कोर्ट के खंडित फैसले पर कहा, मैं कर्नाटक में हिजाब पहनकर स्कूल जाने वाली लड़कियों के पक्ष में सर्वसम्मत फैसले की उम्मीद कर रहा था. उन्होंने आगे कहा, मेरे हिसाब से हाई कोर्ट का निर्णय सही नहीं था और कुरान की बातों को गलत तरह से पढ़ा गया. कर्नाटक की बच्चियां इसलिए हिजाब पहन रही, क्योंकि कुरान में इसकी चर्चा है. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, BJP बेवजह इसे मुद्दा बनाया है.
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I was expecting a unanimous judgement in favour of girls going to school in Karnataka wearing hijab. Justice Sudhanshu Dhulia said that wearing a hijab is ultimately a matter of choice. The judgment by one of the judges from SC was in favour of hijab: AIMIM chief Asaduddin Owaisi pic.twitter.com/VrEdcltatp
— ANI (@ANI) October 13, 2022
जस्टिस सुधांशु धूलिया ने हिजाब को पसंद का मामला बताया
सुप्रीम कोर्ट में हिजाब बैन पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सुधांशु धूलिया ने हिजाब को स्वीकार किया और कहा कि यह पसंद का मामला है. जस्टिस धूलिया ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट ने गलत रास्ता अपनाया. उन्होंने कहा, मेरे निर्णय में मुख्य रूप से इस बात पर जोर दिया गया है कि मेरी राय में अनिवार्य धार्मिक प्रथाओं की यह पूरी अवधारणा विवाद के निस्तारण के लिए आवश्यक नहीं थी. अदालत ने इस संदर्भ में संभवत: गलत रास्ता अपनाया. यह मुख्य रूप से अनुच्छेद 19(1)(ए), इसके क्रियान्वयन और मुख्य रूप से अनुच्छेद 25(1) का सवाल था. यह अंतत: पसंद का मामला है, इससे कम या ज्यादा कुछ और नहीं. न्यायमूर्ति धूलिया कहा कि इस मामले पर फैसला करते हुए उनके दिमाग में लड़कियों की शिक्षा की बात थी. उन्होंने कहा, यह बात सभी जानते हैं कि ग्रामीण इलाकों और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में बच्चियों को पहले ही कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.
जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाएं खारिज की
जस्टिस हेमंत गुप्ता ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिकाएं खारिज कर दी. उन्होंने सुनवाई के दौरान कहा, क्या अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार और अनुच्छेद 21 के तहत निजता का अधिकार परस्पर अलग हैं या वे एक दूसरे के पूरक हैं. उन्होंने कहा कि उनके फैसले में एक और सवाल रखा गया है कि क्या हिजाब पहनना अनिवार्य धार्मिक प्रथा माना जाता है और क्या छात्राएं स्कूल में हिजाब पहनने के अधिकार की मांग कर सकती हैं. जस्टिस गुप्ता ने कहा, मेरे हिसाब से इन सभी प्रश्नों के उत्तर याचिकाकर्ताओं के खिलाफ हैं. मैं याचिकाओं को खारिज करने का प्रस्ताव रखता हूं.
क्या है मामला
दरअसल कर्नाटक हाईकोर्ट ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर बैन लगा दिया है. जिसके खिलाफ गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं के एक वर्ग ने कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति दिए जाने का अनुरोध करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन कर्नाटक हाईकोर्ट ने उस याचिकाओं को खारिज कर दिया और कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है.