कर्नाटक विधानसभा: बेंगलुरू के बेलगावी में सोमवार से शुरू हो रहे कर्नाटक विधानसभा के शीतकालीन सत्र में राज्य में हलाल मांस पर रोक लगाने वाले हलाल विरोधी विधेयक को पेश करने की सरकार की योजना को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच नए सिरे से आमना-सामना होने की संभावना जतायी जा रही है. बीजेपी एमएलसी एन रविकुमार ने FSSAI के अलावा किसी अन्य निकाय द्वारा खाद्य प्रमाणन पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाले विधेयक को लाने की पहल की है. सूत्रों की मानें तो भाजपा का एक धड़ा विधेयक पारित कर इसे कानूनी मान्यता देना चाहता है.
रविकुमार ने इसे एक निजी बिल के रूप में पेश करने की योजना बनाई थी और राज्यपाल थावरचंद गहलोत को लिखा था. हालाँकि, वह अब इसे सरकारी विधेयक के रूप में प्रस्तुत करना चाह रहा है. बीजेपी कर्नाटक विधानसभा में हलाल मांस विरोधी कानून लाने की योजना बना रही है, जिससे चुनावी राज्य में एक और राजनीतिक टकराव के लिए मंच तैयार हो जाएगा. बीजेपी एमएलसी एन रविकुमार ने इसे एक निजी बिल के रूप में लाने की योजना बनाई थी, लेकिन अब पार्टी नेतृत्व कथित तौर पर इसे अपना आधिकारिक कानून बनाना पसंद करता है.
रविकुमार सोमवार को सीएम बसवराज बोम्मई से मुलाकात करेंगे. उन्होंने कहा, “कुछ अनधिकृत संस्थान खाद्य उत्पादों को प्रमाणित करने में शामिल हैं और इसलिए, अवैध रूप से बाजार को नियंत्रित कर रहे हैं. इस पर अंकुश लगाने के इरादे से, बिल निश्चित रूप से इस प्रक्रिया में मदद करेगा.” इस कदम से विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्षी बेंच के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है. कांग्रेस ने पिछले बेलगावी सत्र के दौरान धर्मांतरण विरोधी विधेयक को लेकर भाजपा के साथ आमना-सामना किया था और इस बार भी इसी तरह के दृश्यों की उम्मीद की जा रही है.
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परिषद में विपक्ष के नेता बी के हरिप्रसाद ने कहा, “हम परिषद के अध्यक्ष से हलाल पर निजी विधेयक को मंजूरी नहीं देने का आग्रह करेंगे.” विधानसभा में भी कांग्रेस बिल का विरोध करने को तैयार है. कांग्रेस के यूटी खादर ने कहा, “हम बीजेपी की रणनीति को समझते हैं. वह अपनी विफलता, भ्रष्टाचार और मतदाता डेटा चोरी जैसे मुद्दों से जनता का ध्यान हटाना चाहती है. हलाल विरोधी बिल का उद्देश्य विधानसभा चुनावों से पहले सांप्रदायिक आधार पर मतदाताओं का ध्रुवीकरण करना है.”