प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट के पास स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया. बोस की प्रतिमा उसी स्थान पर स्थापित की गई है, जहां इस साल की शुरुआत में पराक्रम दिवस (23 जनवरी) के अवसर पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया गया था.
इस होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण नेताजी की 125वीं जयंती के अवसर पर किया गया था. प्रतिमा का अनावरण आजाद हिंद फौज के पारंपरिक गीत कदम, कदम बढ़ाए जा की धुन के साथ किया गया. एक भारत-श्रेष्ठ भारत और अनेकता में एकता की भावना को प्रदर्शित करने के लिए देश के कोने-कोने से आए 500 नर्तकों द्वारा एक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा को इंडिया गेट के समीप छतरी के नीचे रखी गयी है. अखंड ग्रेनाइट को तराश कर सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा को बनाया गया. 28 फीट है काले रंग के ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा.
मूर्तिकार नरेश जी कुमावत ने सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का मॉडल बनाया. उन्होंने कई तरह के मॉडल तैयार किये थे, जिसमें इसे सेलेक्ट किया गया. सुषाभ चंद्र बोस की मूर्ति का वजन 65 मीट्रिक टन है.
30 से 40 कुशल कारिगरों ने सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति को तैयार किया. सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति को तैयार करने में 5 महीने से अधिक का समय लगा. नेताजी की प्रतिमा को पारंपरिक तकनीकों और आधुनिक औजारों का उपयोग कर पूरी तरह हाथों से बनाया गया है.
करीब 26,000 घंटे के अथक कलात्मक प्रयासों से सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा को किया गया तैयार. अरुण योगीराज के नेतृत्व में मूर्तिकारों के एक दल ने यह प्रतिमा तैयार की है. यह प्रतिमा भारत की विशालतम, सजीव, अखंड पत्थर पर हस्त निर्मित प्रतिमाओं में से एक है.
ग्रेनाइट के इस अखंड पत्थर को तेलंगाना के खम्मम से 1665 किलोमीटर दूर नयी दिल्ली तक लाने के लिए 100 फुट लंबा 140 पहियों वाला एक ट्रक विशेष तौर पर तैयार किया गया था.