Kartik Purnima 2020 : जिस गंगा को पतित पावन मानकर लोग पुण्य कमाने लिए डुबकी लगाने के बाद उसका आचमन करते हैं उसका जल अब पीने के लायक नहीं रह गया है. ऐसा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है. प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि हरिद्वार का गंगाजल पीने लायक नहीं है. जांच में गंगा का पानी बी श्रेणी का पाया गया. इसे नहाने के योग्य तो माना गया है लेकिन बगैर फिल्टर के पीया नहीं जा सकता. पीसीबी ने पानी में कोलीफार्म बैक्टीरिया की मात्रा ज्यादा बताई है.
नमामि गंगे परियोजना में गंगा के पानी की शुद्धता बनाए रखने के लिए अब तक करोड़ों रुपये बहा दिए गए. गंगा को प्रदूषित होने से रोकने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने कड़े नियम बनाए. बावजूद इसके गंगा में पूजा की सामग्री, कूड़ा, गंदगी, पूजा के फूल, कलेंडर, प्लास्टिक की सामग्री आदि को डाला जा रहा है. यही कारण् है कि गंगा का पानी भी शुद्ध नहीं बचा. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने भीमगाड़ा बैराज से पानी छोड़ने के बाद हरकी पैड़ी, बिशनपुर कुंडी, बालाकुमारी मंदिर, जगजीतपुर और रुड़की में गंगनहर से पानी के सैपल लिए थे. जांच में पानी की क्वालिटी बी श्रेणी की पाई गई.
पीसीबी के मानकों के अनुसार बी श्रेणी के पानी से नहाया तो जा सकता है लेकिन यह पीने योग्य नहीं है. जांच में पानी में कोलीफार्म बैक्टीरिया का स्तर स्टैंडर्ड से मानक से अधिक पाया गया। मानकों के अनुसार ए श्रेणी की क्वालिटी में बैक्टीरिया का स्तर प्रति 100 एमएल पानी में 0 से 50 एमपीएन होना चाहिए. हरकी पैड़ी पर बैक्टीरिया का स्तर 70 एमपीएन (मोस्ट प्रोबेबिल नंबर) प्रति 100 एमएल मिला है. जबकि बालाकुमारी मंदिर के पास 120, बिशनपुर में 110, गंगनहर रुड़की से 120 एमपीएन मिला.
राहत की बात यह है कि गंगा के पानी में बायोलॉजिकल ऑक्सीनज की मात्रा ठीक मिली. हरकी पैड़ी और रुड़की गंगनहर में इसकी मात्रा एक-एकएमजी प्रति लीटर जबकि बालाकुमारी मंदिर के पास और बिशनपुर में इसकी मात्रा 1.2-1.2 पाई गई. क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी राजेंद्र सिंह कठैत ने बताया कि गंगाजल में घुलित ऑक्सीजन और बायोलॉजिकल डिमांड का स्तर तो ठीक मिला है लेकिन कोलीफार्म बैक्टीरिया अधिक पाए जाने के कारण पानी बगैर फिल्टर के पीने योग्य नहीं है. हां, इससे नहाने में कोई दिक्कत नहीं है.