Kashi Vishwanath Corridor के बारे में 10 अनोखी बातें, विश्वास नहीं होगा आपको
Kashi Vishwanath Corridor: वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन से पहले कालभैरव के दर्शन को जरूरी माना जाता है. मान्यता है कि काल भैरव के दर्शन के बिना विश्वनाथ के दर्शन का फल नहीं प्राप्त होता है.
शिव की नगरी वाराणसी में भव्य काशी, दिव्य काशी की तर्ज पर एक महीने तक उत्सव शुरू हो चुका है. इसमें सबसे बड़ा आयोजन काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण है. काशी को मोक्ष की नगरी भी कहा जाता है. काशी को वाराणसी से लेकर बनारस के नाम से भी जाना जाता है. आखिर इस धरती की 10 बड़ी बातें क्या हैं?
चलिए हम आपको आज यहां पर बताते हैं शिव के त्रिशूल पर स्थित काशी धाम के बारे में 10 अनकही, अनसुनी और अकल्पनीय बातें…
1. काशी विश्वनाथ धाम द्वादश ज्योतिर्लिंगों में सातवें स्थान पर है. काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में गंगा नदी के पश्चिम घाट पर स्थित है. काशी को शिव और पार्वती के सबसे प्रिय स्थानों में से एक माना जाता है.
2. वाराणसी में बाबा विश्वनाथ के दर्शन से पहले कालभैरव के दर्शन को जरूरी माना जाता है. मान्यता है कि काल भैरव के दर्शन के बिना विश्वनाथ के दर्शन का फल नहीं प्राप्त होता है.
3. भगवान विष्णु ने भी काशी में ही तपस्या कर शिव को प्रसन्न किया था. सावन के महीने में माता पार्वती और भगवान शिव काशी का भ्रमण करने जरूर आते हैं.
4- काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास सालों पुराना है. शिव ने माता पार्वती से शादी की और कैलाश पर रहने लगे. जब पार्वती ने ससुराल जाने की जिद को तो भगवान शिव उन्हें लेकर काशी आए. इसके बाद महादेव काशी विश्वनाथ धाम ज्योतिर्लिंग रूप में स्थापित हो गए.
5. काशी विश्वनाथ धाम का महाभारत और उपनिषदों में भी जिक्र है. इस मंदिर के निर्माण किसने और कब किया? इसका पता नहीं चला है. कहीं भी मंदिर निर्माण का उल्लेख नहीं मिला है.
6. सन 1194 में मुहम्मद गोरी ने काशी विश्वनाथ धाम को लूटने के बाद तुड़वा दिया था. बाद में राजा टोडरमल ने धाम का निर्माण कराया था. 1585 में अकबर के आदेश पर नारायण भट्ट की मदद से टोडरमल ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था.
7. काशी विश्वनाथ धाम के वर्तमान स्वरूप का निर्माण 1780 में मराठा रानी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था. उसके बाद 1839 महाराजा रणजीत सिंह ने उपहार में दिए सोने से शिखर को बनवाया गया था.
8. काशी को मोक्ष की नगरी कहा जाता है. मान्यता है कि महादेव खुद यहां मरणासन्न व्यक्ति के कानों में तारक मंत्र का उपदेश सुनाते हैं. इसका उल्लेख मत्स्य पुराण में भी किया गया है.
9. धर्मग्रंथों में जिक्र है कि प्रलय आने पर भी काशी नगरी का कुछ नहीं हुआ. मान्यता है कि प्रलय आने पर महादेव खुद त्रिशूल पर काशी को उठा लेते हैं. इस नगरी में वही रह सकता है, जिसे शिव बुलाते हैं.
10. काशी विश्वनाथ धाम में साक्षात शिव बसते हैं. इस नगरी को महादेव ने अखिल ब्रह्मांड के रूप में बसाया है. यहां 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास है. काशी में नौ गौरी देवी, नौ दुर्गा, अष्ट भैरव, 56 विनायक और 12 ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं.
(Posted By: Achyut Kumar)