Katchatheevu Issue: कच्चातिवु की चर्चा के बीच श्रीलंका ने मछुआरों को किया रिहा, अपने वतन पहुंचकर खिल उठे चेहरे
Katchatheevu Issue: कच्चातिवु की चर्चा आने इन दिनों जरूर सुनी होगी. इसके बाद भारत और श्रीलंका के संबंधों की चर्चा होने लगी. इस बीच श्रीलंका ने कुछ मछुआरों को रिहा किया है.
Katchatheevu Issue: भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों की चर्चा पिछले दिनों उस वक्त तेजी से हुई जब पीएम मोदी ने कच्चातिवु द्वीप को लेकर सोशल मीडिया पर जानकारी दी और कांग्रेस के साथ-साथ डीएमके को घेरा. इस बीच एक अच्छी खबर भारत के लिए आ रही है. जी हां…श्रीलंका ने कुल 19 मछुआरों को रिहा किया है. जिसका वीडियो सामने आया है. इस वीडियो में मछुआरे नजर आ रहे हैं जिनके चेहरे पर मुस्कान साफ देखी जा सकती है.
श्रीलंका की ओर से जिन मछुआरों को छोड़ा गया उनमें मयिलादुथुराई से 9, पुदुकोट्टई से 4 और कराईकल के 6 मछुआरे हैं. ये रिहा किये जाने के बाद चेन्नई हवाई अड्डे पर पहुंचे. आपको बता दें कि मछुआरों को छह मार्च को सीमा पार करने के आरोप में श्रीलंकाई नौसेना ने गिरफ्तार कर लिया था.
क्या नजर आ रहा है वीडियो में
न्यूज एजेंसी एएनआई ने जो वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर शेयर किया है, उसमें नजर आ रहा है कि वतन वापसी के बाद वे काफी खुश हैं. देश की धरती पर कदम रखने के बाद मछुआरों का जोरदार स्वागत किया गया. वीडियो में कुछ लोग नजर आ रहे हैं जो एयरपोर्ट पर मछुआरों को थैले में कुछ देते दिख रहे हैं.
कच्चातिवु द्वीप क्यों है चर्चा में
आपको बता दें कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कच्चातिवु को लेकर सोशल मीडिया पर इतिहास की बात का जिक्र किया था और कांग्रेस पर निशाना साधा था. पीएम मोदी ने डीएमके को भी मामले को लेकर घेरा. इसके बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मामले की जानकारी दी थी. उन्होंने कहा था कि साल 1974 में भारत और श्रीलंका के बीच एक समझौता हुआ था जिसके तहत एक समुद्री सीमा खींची गई और कच्चातिवु को सीमा के श्रीलंकाई पक्ष पर रख दिया गया.
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मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि हम सभी जानते हैं कि यह किसने किया है… यह नहीं पता कि इसे किसने छुपाया…. मछुआरों के संकट का भी उन्होंने जिक्र किया था और जानकारी दी थी कि पिछले 20 वर्षों में 6184 भारतीय मछुआरों को श्रीलंका द्वारा हिरासत में लिया जा चुका है. यही नहीं, 1175 भारतीय मछली पकड़ने वाली नौकाओं को श्रीलंका द्वारा जब्त किया गया.