Katchatheevu Row: क्या है कच्चातिवु द्वीप विवाद, जिस वजह से PM Modi ने कांग्रेस और DMK को घेरा

Katchatheevu Row: कच्चातिवू द्वीप, एक बार फिर लोगों की नजर में है. आपको बता दें कि द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बीच के विवाद का कारण भी यही है. लेकिन, यह पूरा मामला क्या है? बीजेपी कांग्रेस और डीएमके दोनों को इस मामले में क्यों लपेट रही है? आइए जानते है सब कुछ…

By Aditya kumar | April 2, 2024 11:53 AM

Katchatheevu Row: कच्चातिवू द्वीप, एक बार फिर लोगों की नजर में है. इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों कांग्रेस और डीएमके को घेरा है. ऐसे में यह मामला तमिलनाडु की राजनीति से होते हुए राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है. आपको बता दें कि द्रमुक और अन्नाद्रमुक के बीच के विवाद का कारण भी यही है. लेकिन, यह पूरा मामला क्या है? बीजेपी कांग्रेस और डीएमके दोनों को इस मामले में क्यों लपेट रही है? आइए जानते है सब कुछ…

Katchatheevu row

Katchatheevu Row: क्या है कच्चातिवु द्वीप विवाद

  • सबसे पहले आपको बता दें कि साल 1974 में इंदिरा गांधी सरकार ने कच्चाथीवू द्वीप मामले पर श्रीलंका के साथ एक समझौता किया था. इस समझौते के तहत भारतीय सरकार ने इस द्वीप को श्रीलंका का हिस्सा माना था.
  • वर्तमान सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साक्षात्कार के दौरान कांग्रेस को घेरा और रिपोर्ट साझा करते हुए कहा कि इससे अब पता चल चुका है कि कैसे कांग्रेस ने कच्चाथीवू को श्रीलंका को दे दिया था. उन्होंने कहा कि लोगों के मन में कांग्रेस के खिलाफ गुस्सा है.
  • बीजेपी ने डीएमके पर भी यह आरोप लगाया है कि उन्होंने कच्चातिवू द्वीप को वापस लाने के लिए सरकार ने कुछ नहीं किया है. पीएम ने कहा कि इस द्वीप को श्रीलंका को देने में डीएमके का भी हाथ है.
  • आपको बता दें कि जिस रिपोर्ट का जिक्र किया गया है वह तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई के उस आरटीआई को लेकर सामने आई है, जिसमें बताया गया है कि 1974 में इस द्वीप को पड़ोसी देश को तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने कैसे सौंपा था.
  • पीएम मोदी ने आरोप लगाते हुए कहा है कि भारत की एकता और अखंडता को करना करने की कोशिश की गई थी और कांग्रेस पार्टी का 75 साल से काम करने का तरीका यही रहा है.
  • जानकारी हो कि कच्चातिवू द्वीप हिंदमहासागर के दक्षिणी छोर पर स्थित है. भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच स्थित 285 एकड़ में फैले इस द्वीप में आए दिन ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं, इस कारण यहां कोई नहीं रहता. आजादी से पहले यह द्वीप भारत का हिस्सा था जो 1974 के बाद श्रीलंका के कब्जे में है.
  • मीडिया सूत्रों की मानें तो इस द्वीप को लेकर आए दिन भारत श्रीलंका में विवाद होता था. 1974 में इसे कम करने के लिए भारत और श्रीलंका के बीच कोलंबो और दिल्ली में दो बैठक हुई.
  • बैठक में भारत ने द्वीप को अपना बताया था और पुख्ता सबूत भी दिए. साथ ही उन्होंने कहा कि ये द्वीप वहां के राजा नामनद के अधिकार में था. लेकिन, उस वक्त के भारतीय विदेश सचिव ने कहा कि श्रीलंका का दावा भी मजबूत है. इसके बाद इंदिरा ने इसे श्रीलंका को गिफ्ट के तौर पर दे दिया.

क्यों उठा यह मामला?

अब अगर बात करें कि आखिर इस मामले को लेकर विवाद क्यों हो रहा है तो आपको बता दें कि कई बार अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करते हुए भारतीय मछुआरे श्रीलंका की सीमा में दाखिल हो जाते हैं जिसके बाद श्रीलंका सरकार उनपर कार्रवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लेती है और नौकाओं को जब्त कर लिया जाता है. इस वजह से मछुआरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इसी वजह से यह मुद्दा बीजेपी की तरफ से फिर उठाया गया है.

एम. करुणानिधि और जे. जयललिता के बीच हमेशा विवाद

दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्रियों एम. करुणानिधि और जे. जयललिता के बीच हमेशा विवाद की जड़ रहा कच्चातिवु द्वीप रहा है. तमिल मछुआरों की लगातार गिरफ्तारी और उत्पीड़न के साथ कच्चातिवू वापस लेने का मुद्दा द्रविड़ राजनीति के दिग्गजों के बीच गहन बहस का विषय रहा है. जयललिता ने एक बार मछुआरों की परेशानियों को समाप्त करने के लिए द्वीप को पुनः प्राप्त करने का संकल्प लिया था और उनकी पार्टी ने हमेशा इसे रोकने के वास्ते कुछ नहीं करने के लिए द्रविड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) को दोषी ठहराया था.

उपलब्ध जानकारी चर्चित मीडिया एजेंसियों से ली गई है...

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