Kavach 4.0: हाल के दिनों में ट्रेन हादसों के कारण रेलवे की सुरक्षा को लेकर सवाल उठते रहे हैं. ट्रेन हादसों को देखते हुए काफी समय से ट्रेनों के आपसी टक्कर रोकने के लिए कवच सिस्टम लगाने की बात होती रही है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आ पा रहा था. इसका एक बड़ा कारण कवच 4.O(ओ) की मंजूरी मिलने में देरी रहा है. इसकी मंजूरी से पहले इसका सभी मौसम और भौगोलिक स्थानों के हिसाब से ट्रायल में फीट होना होता है. तभी इसका इंडिपेंडेंट सेफ्टी असेसमेंट(आइएसए) की ओर से सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. बुधवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि देश में एक सिस्टमैटिक तरीके से कवच सिस्टम के विकास का काम चल रहा है. देश के सभी भौगोलिक हालात के मद्देनजर कवच 4.O का काम 17 जुलाई को पूरा कर लिया गया है. मौजूदा समय में रेलवे के 10 हजार लोकोमोटिव में कवच सिस्टम लगाने का आर्डर दिया गया है. उन्होंने कहा कि व्यापक स्तर पर रेलवे में कवच सिस्टम को लागू करने की तैयारी है. जिन रूटों पर कवच को पहले लगाया गया है, उन्हें कवच 4.O से अपग्रेड किया जायेगा. साथ ही सभी नये प्रोजेक्ट में अब कवच 4.O लगाना अनिवार्य कर दिया गया है.
मुंबई-दिल्ली और दिल्ली-कोलकाता मार्ग मार्च तक होगा पूरा
मुंबई-दिल्ली, दिल्ली कोलकाता मार्ग पर कवच सिस्टम का पूरा काम मार्च तक पूरा कर लिया जायेगा. वहीं मुंबई से चेन्नई और चेन्नई से हावड़ा मार्ग पर भी दो से तीन साल के अंदर पूरी तरह से पूरा कर लिया जायेगा. सरकार की योजना 15000 लोकोमोटिव में पहले चरण मे कवच लगाना है. कुल 20 हजार लोकोमोटिव में से 10-10 हजार लोकोमोटिव के लिये दो टेंडर निकाल कर इसका काम जल्द से जल्द शुरू कर दिया जायेगा. इसके साथ ही देश भर में फैले 8 हजार स्टेशनों को भी पांच से छह महीने के भीतर रडार से सर्वे कर जरूरी उपकरण लगा दिये जायेंगे
कैसे कवच सिस्टम हुआ तैयार
देश में दो ट्रेन के बीच आपसी टक्कर रोकने के लिए कवच सिस्टम के विकास करने की योजना शुरू हुई. वर्ष 2014-15 में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर 250 किलोमीटर रूट पर इसे लगाने का फैसला लिया गया. वर्ष 2017-18 में कवच 3.2 को अंतिम रूप दिया गया और वर्ष 2018-19 में इसके निर्माण के लिए तीन कंपनियों को मंजूरी दी गयी. जुलाई 2020 में कवच को राष्ट्रीय ऑटोमेटिक प्रोटेक्शन सिस्टम(एटीपी प्रणाली घोषित किया गया. सरकार ने कचव 4.0 सिस्टम को 5 हजार किलोमीटर ट्रैक पर लगाने के लिए निविदा को आमंत्रित किया. सरकार मिशन मोड में सभी ट्रैक पर इसे लगाने की दिशा में काम कर रही है.
विश्व के देशों में क्या है सिस्टम
अमेरिका में वर्ष 1980 में आपसी टक्कर रोकने के लिए पॉजिटिव कंट्रोल सिस्टम और सिग्नलिंग सिस्टम को लगाने का काम शुरू किया गया. वर्ष 2010 में इसे लेकर नियमों को जारी किया गया. यूरोप के अधिकांश देशों में यूरोपियन कंट्रोल सिस्टम लागू हैं. यूरोप के अधिकांश देशों में 80 और 90 के दशक में यह सिस्टम लागू कर दिया गया. जापान में 1964 से ही एटीपी सिस्टम काम कर रहा है. भारत की बात करें तो मुंबई के शहरी इलाकों में 1986 में ऑक्सीलरी वार्निंग सिस्टम लगाया गया. लेकिन यह उतना कारगर नहीं रहा. रेलवे ने सुरक्षा को बेहतर करने के लिए काकोदकर समिति का गठन किया. वर्ष 2012 में समिति ने आधुनिक टक्कर रोधी प्रणाली लगाने की सिफारिश के साथ सिग्नलिंग सिस्टम को बेहतर बनाने को कहा.