कोल क्राइसिस पर केजरीवाल ने कहा – देश में स्थिति काफी नाजुक, हम मिलकर हालात सुधारने की कर रहे कोशिश
इससे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीते शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दखल देने की मांग की.
नई दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को भारत में उत्पन्न कोयले के संकट पर कहा कि इस समय पूरे देश में स्थिति काफी नाजुक है. इस समस्या को लेकर कई मुख्यमंत्री केंद्र सरकार को चिट्ठी लिख चुके हैं. हम केंद्र सरकार के साथ मिलकर समस्या का समाधान करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. हम नहीं चाहते कि किसी भी तरह की आपात स्थिति पैदा हो.
इससे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीते शनिवार को देश में उत्पन्न कोयला संकट के बीच कहा था कि दिल्ली के सामने बिजली की गंभीर संकट खड़ा हो गया है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर दिल्ली की समस्या से अवगत कराया था. उन्होंने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि दिल्ली के लोगों को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है. उनकी सरकार समस्या से निपटने के लिए कदम उठा रही है.
इसके साथ ही, बिजली संकट की आशंका को देखते हुए देश के कई मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है. दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दखल देने की मांग की है. वहीं, आंध्र प्रदेश और पंजाब के मुख्यमंत्रियों ने भी इस संबंध में केंद्र को चिट्ठी भेजी है.
देश के मुख्यमंत्रियों के इस प्रयास के बाद रविवार को केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह दिल्ली के बिजली वितरण कंपनियों के अधिकारियों के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की. इस समीक्षा बैठक के बाद ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि कोयले की किल्लत और बिजली संकट की खबरें ‘निराधार’ हैं. ना तो संकट कभी था, न आगे होगा. उन्होंने कहा कि हमारे पास आज की तारीख में कोयले का चार दिन से अधिक का औसतन स्टॉक है. हमारे पास प्रतिदिन स्टॉक आता है. कल जितनी खपत हुई, उतना कोयले का स्टॉक आया.
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इस बीच, कोयला मंत्रालय ने दावा किया है कि पावर प्लांटों के पास करीब 72 लाख टन का कोयला भंडार है, जो चार दिन के लिए पर्याप्त है. कोल इंडिया के पास 400 लाख टन का भंडार है, जिसकी आपूर्ति बिजली संयंत्रों को की जा रही है. देश में थर्मल पावर जेनरेशन इस साल सितंबर तक 24 फीसदी बढ़ा है. पावर प्लांटों को आपूर्ति बेहतर रहने की वजह से उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है. पावर प्लांटों को रोजाना औसतन 18.5 लाख टन कोयले की जरूरत होती है, जबकि कोयले की आपूर्ति करीब 17.5 लाख टन है.