Kisan Andolan: दिल्ली की सीमाओं पर बीते दो महीने से जारी किसान आंदोलन एक बार फिर तेज हो गया है. और संसद से लेकर सड़क तक आंदोलन की गूंज सुनाई देने लगी है. गौरतलब है कि, बुधवार को हरियाणा के जींद में किसानों की महापंचायत हुई. जिसमें भारी संख्या में किसानों ने शिरकत की. महापंचायत में कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए केंद्र सरकार पर दवाब बनाने को लेकर मंथन किया गया.
इधर राज्यसभा में भी किसान आंदोलन को लेकर खासा बवाल हो रहा है. मंगलवार को विपक्ष के नारेबाजी के कारण सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करना पड़ी. हालांकि, बीते दिन बुधवार को किसानों को लेकर पक्ष-विपक्ष में 14 घंटे बहस करने पर सहमति बन गई है. लेकिन किसानों के आंदोलन को लेकर विपक्ष सरकार को घेरने में कोई कोर कसर नहीं छोड रही है. सरकार इस मुद्दे पर घिरती भी दिख रही है.
कृषि के तीन नये कानूनों को रद्द करने की किसानों की मांग अब राजनीतिक रनवे पर दौड़ लगा रहा है. और विपक्ष इस बहाने सरकार को घेरने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे. इधर किसानों ने भी अपने आंदोलन को तेज कर दिया है. दिल्ली के विभिन्न बार्डर पर हजारों किसान धरने पर बैठे है. साथ ही किसानों का आना भी जारी है. पर दिन दिन हजारों की संख्या में किसान आगे आ रहे हैं.
गौरतलब है कि, दिल्ली में हुई हिंसा के बाद एक बार तो लगने लगा था कि किसान आंदोलन सिमट जाएगा लेकिन, राकेश टिकैत की सिसकियों ने आंदोलन में नई जान फूंक दी. और किसान आंदोलन को एक बार फिर नई रफ्तार मिलने लगी है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की अपील से यूपी से लेकर हरियाणा तक में किसानों की महापंचायत हो रही है.
हालांकि इस बीत किसानों और सरकार में कई दौर की बातचीत हुई है लेकिन सारी बातचीत बेनतीजा रही. सरकार कानून को लेकर अपने रुख पर अड़ी हैं तो किसान इसे निरस्त करने के अलावा कुछ पर भी राजी नहीं है. ऐसे में हर दिन जोर पकड़ रहे किसान आंदोलन के क्या नतीजे आएंगे ये देखने वाली बात होगी. लेकिन फिलहाल तो सदन से लेकर सड़क तक किसान आंदोलन को लेकर कोहराम मचा है.
Posted by: Pritish Sahay