किसानों का आंदोलन पूरे जोर पर है. 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड की हिंसा के बाद आज एक बार फिर किसान चक्का जाम आंदोलन कर रहे हैं. ऐसे में देश के पूर्व नौकरशाहों के खुले पत्र ने कई बातों का खुलासा किया है. इस खुले खत के जरिये पूर्व अफसरों ने केन्द्र सरकार पर भी निशाना साधा है. खुले खत में पूर्व अधिकारियों ने कहा कि किसान आंदोलन के लेकर सरकार में उहापोह की स्थिति है. इस मामले में केन्द्र सरकार का नजरिया टकराव भरा है. कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शन & Kisan Andolan Live News से जुड़ी हर अपडेट के लिए बने रहें हमारे साथ.
पूर्व नौकरशाहों के एक समूह, जिसमें जूलियो रिबेरियो, अरुणा रॉय और नजीब जंग के साथ साथ 75 पूर्व अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं, ने कहा है कि 3 नए कृषि कानून के खिलाफ हो रहा किसानों का प्रदर्शन शुरू से ही केन्द्र सरकार के लिए किरकिरी भरा रहा है. इसके खिलाफ सरकार का रवैया शुरू से ही टकराव भरा और प्रतिकूल रहा है. इस खत में इसका भी जिक्र है कि जो इस बात कि ओर इशारा करता है कि सरकार इस आंदोलन का उपहास कर रही है. आंदोलन की की छवि खराब की जानी चाहिए.
वहीं, इस खत में पूर्व अधिकारियों ने सरकार को नसीहत भी दी है, उन्होंने खत में कहा है कि ऐसे आधे अधूरे कदम से समस्या का समाधान नहीं निकलेगा. अगर केन्द्र सरकार इस आंदोलन का मैत्रीपूर्ण समाधान चाहती है तो सरकार को 18 महीने इन कानून को निरस्त करने की बजाय पूरे तरीके से वापस ले लेना चाहिए. इसके साथ ही इसके अन्य संभावित समाधानों के बारे में सरकार विचार कर सकती है.
वहीं, इस पत्र में पूर्व अधिकारियों ने यह भी कहा है कि, 26 जनवरी की घटना के बाद सरकार ने विपक्षी दल के सांसद और पत्रकारों पर राजद्रोह का मामला क्यो दर्ज किया गया. पत्र में यह भी कहा गया है कि सरकार के खिलाफ कोई विचार रखना या प्रदर्शन करना या इसकी रिपोर्ट तैयार करना राजद्रोह नहीं हो सकता है और इसे राजद्रोह करार देना कहीं से भी ठीक नहीं है. पूर्व अधिकारियों ने पत्र में आंदोलनकारी किसानों के समर्थन की बात कही हैं. साथ ही कहा है कि इसके खिलाफ सरकार का रवैया शुरू से ही टकराव भरा और प्रतिकूल रहा है.
Posted by: Pritish Sahay