Kisan Andolan : किसानों ने फिर ठुकराया केंद्र का प्रस्ताव, कहा – आग से न खेले सरकार, आंदोलन तेज करने की चेतावनी

Kisan Andolan, Farmers once again reject proposal of the Central Government, stern warning, Farmer law दिल्ली के बॉर्डरों में पिछले 28 दिनों से जमे हजारों किसानों ने एक बार फिर केंद्र सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. किसान नेताओं सरकार के प्रस्ताव को हास्यास्पद और खोखला बता दिया. किसानों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि वो आग से न खेले. वे कृषि कानूनों में संशोधन नहीं, बल्कि कानून रद्द करने की मांग दुहराते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 23, 2020 7:30 PM

दिल्ली के बॉर्डरों में पिछले 28 दिनों से जमे हजारों किसानों ने एक बार फिर केंद्र सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. किसान नेताओं ने सरकार के प्रस्ताव को हास्यास्पद और खोखला बता दिया. किसानों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि वो आग से न खेले. वे कृषि कानूनों में संशोधन नहीं, बल्कि कानून रद्द करने की मांग दुहराते हैं.

40 किसान संगठनों की बैठक के बाद योगेंद्र यादव ने कहा कि हम तीनों कृषि कानूनों में किसी भी प्रकार के बदलाव की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि तीनों कानूनों को निरस्त करने की मांग करते हैं. न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर जो प्रस्ताव सरकार से आया है उसमें कुछ भी साफ नहीं है और स्पष्ट नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार ठोस प्रस्ताव लिखित में भेजें और खुले मन से बातचीत के लिए बुलाए.

स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा, सरकार लगातार तथाकथित किसान नेताओं और संगठनों के साथ बातचीत कर रही है, जो हमारे आंदोलन से बिल्कुल भी जुड़े नहीं हैं. यह हमारे आंदोलन को तोड़ने का एक प्रयास है.

राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार कक्का ने कहा , हम सरकार से ठोस बातचीत के लिए अनुकूल माहौल बनाने का आग्रह करते हैं. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कृषि कानूनों के कार्यान्वयन को निलंबित करें. इससे वार्ता को बेहतर माहौल मिलेगा. कक्का ने कहा, हम गृह मंत्री अमित शाह को पहले ही बता चुके हैं कि प्रदर्शनकारी किसान संशोधनों को स्वीकार नहीं करेंगे. सरकार को अपना हठी रवैया छोड़ देना चाहिए और किसानों की मांगों को मान लेना चाहिए.

भारतीय किसान यूनियन के नेता युधवीर सिंह ने कहा, जिस तरह से केंद्र इस वार्ता की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है, यह स्पष्ट है कि सरकार इस मुद्दे पर देरी करना चाहती है और किसानों के विरोध का मनोबल तोड़ना चाहती है. सरकार हमारे मुद्दों को हल्के में ले रही है, मैं उन्हें इस मामले का संज्ञान लेने के लिए चेतावनी दे रहा हूं और जल्द ही इसका हल ढूंढूंगा.

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