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टिकैत गाज़ीपुर बॉर्डर पर नवंबर से डेरा डाले हुए हैं
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केंद्र के विवादित कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के लिए समर्थन मांगने गुजरात जाएंगे राकेश टिकैत
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गुजरात के गांधीधाम से आए समूह ने टिकैत को “चरखा“ भेंट किया
किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait ) ने कहा है कि वह केंद्र के विवादित कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन (kisan andolan) के लिए समर्थन मांगने के वास्ते जल्द गुजरात (Gujarat) का दौरा करेंगे. टिकैत ने यह टिप्पणी दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाज़ीपुर में गुजरात और महाराष्ट्र के एक समूह से मुलाकात के दौरान की. टिकैत गाज़ीपुर बॉर्डर पर नवंबर से डेरा डाले हुए हैं.
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने दावा किया कि किसान अंततः अपनी कृषि उपज का कोई हिस्सा नहीं ले पाएंगे क्योंकि नए कानून केवल कॉरपोरेट का पक्ष लेंगे. एक उदाहरण बताते हुए उन्होंने कहा कि गांव में दूध की कीमत करीब 20-22 रुपये प्रति लीटर होती है लेकिन जब यह बड़ी व्यापारिक कंपनियों के जरिए शहरों में पहुंचता है तो इसकी कीमत 50 रुपये प्रति लीटर से अधिक हो जाती है.
बीकेयू की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक टिकैत ने कहा कि बड़े व्यापारिक घराने खाद्यन्न का भंडारण करने के लिए बड़े-बड़े गोदाम बना रहे हैं और बाजार में (खाद्यन्न की) कमी होने पर वह इसे अपने पसंद की कीमत पर बेचेंगे. टिकैत ने कहा कि हम ऐसी स्थिति नहीं होने देंगे। हम सिर्फ इसे लेकर चिंतित हैं और हम यह नहीं होने देंगे कि इस देश की फसल को कॉरपोरेट नियंत्रित करे. गुजरात के गांधीधाम से आए समूह ने टिकैत को “चरखा“ भेंट किया.
उन्होंने कहा कि गांधीजी ने ब्रिटिश को भारत से भगाने के लिए चरखा का इस्तेमाल किया. अब हम इस चरखे का इस्तेमाल करके कॉरपोरेट को भगाएंगे. हम जल्द ही गुजरात जाएंगे और नए कानूनों को रद्द करने के लिए किसानों के प्रदर्शन के वास्ते समर्थन जुटाएंगे. इस बीच, हरियाणा के रोहतक जिले की 20 से अधिक महिलाएं गाज़ीपुर में आंदोलन में शामिल हुईं और आंदोलन को अपना समर्थन देने का आश्वासन दिया.
दिल्ली के सिंघू, टीकरी और गाज़ीपुर बॉर्डर पर हजारों किसान प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों को रद्द करे तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) देने के लिए कानून बनाए.
Posted By : Amitabh Kumar