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किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे
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स्कूली छात्रा ने किसान नेता राकेश टिकैत की कर दी बोलती बंद
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मंच में राकेश टिकैत ने छात्रा से पूछा नाम और जाति
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का 100वां दिन पूरा हो गया है. लेकिन अब भी किसानों के तेवर नरम नहीं पड़े हैं. प्रदर्शन के 100वां दिन पूरे होने के बाद किसान नेताओं ने कहा कि उनका आंदोलन खत्म नहीं होने जा रहा और वे मजबूती से बढ़ रहे हैं.
इस बीच किसान आंदोलन और राकेश टिकैत को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है. दरअसल झज्जर के कार्यक्रम में एक स्कूली छात्रा ने किसान नेता राकेश टिकैत की बोलती बंद कर दी. झज्जर जिले के पास ढांसा बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में मंच पर मौजूद थे उसी समय छात्रा ने किसान नेता राकेश टिकैत से ऐसा सवाल पूछ लिया, जिसका जवाब किसान नेता के पास नहीं था.
छात्रा के सवाल पर मंच में हंगामा हो गया और उससे माइक छीन ली गयी. यहां तक ही छात्रा से राकेश टिकैत ने उससे नाम और उसकी जाति भी पूछ ली.
छात्रा ने राकेश टिकैत से क्या पूछा लिया सवाल ?
दरअसल छात्रा ने राकेश टिकैत से किसान आंदोलन और 26 जनवरी हिंसा को लेकर सवाल पूछा था. छात्रा ने पूछा, मैं पूछना चाहती हूं अगर किन्हीं परिस्थितियों में सरकार और किसानों के दोनों पक्ष में एक भी पीछे नहीं हटे तो फिर समाधान किस बात पर होगा. यह जवाब सभी को चाहिए. ताकि, युवा भी परेशान नहीं हो और किसान भी परेशान नहीं हो.
वहीं छात्रा ने 26 जनवरी हिंसा को लेकर पूछा, अगर उस दिन हिंसा के जिम्मेदार प्रदर्शनकारी नहीं हैं, सरकार भी नहीं है. तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है. छात्रा के इस सवाल पर पूरे मंच में हंगामा हो गया और उससे माइक छीन ली गयी. माइक छीन लिये जाने पर भी छात्रा बोलती रही, तो राकेश टिकैत और मंच में मौजूद किसान नेताओं ने छात्रा से उसका नाम और उसकी जाति पूछ ली.
https://twitter.com/manishBJPUP/status/1368031635204018177
किसान प्रदर्शन के 100 दिन पूरे होने पर भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक जरूरत होगी वे प्रदर्शन जारी रखने के लिये तैयार हैं. इस आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभा रहे किसान नेताओं में से एक टिकैत ने बताया, हम पूरी तरह तैयार हैं. जब तक सरकार हमें सुनती नहीं, हमारी मांगों को पूरा नहीं करती, हम यहां से नहीं हटेंगे.
गौरतलब है सरकार और किसान संघों के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद दोनों पक्ष किसी समझौते पर अब तक नहीं पहुंच पाए हैं और किसानों ने तीनों कानूनों के निरस्त होने तक पीछे हटने से इनकार किया है. सितंबर में बने इन तीनों कृषि कानूनों को केंद्र कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रहा है जिससे बिचौलिये खत्म होंगे और किसान देश में कहीं भी अपनी उपज बेच सकेंगे.
दूसरी तरफ प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका जाहिर की है कि नए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की सुरक्षा और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी जिससे वे बड़े कॉरपोरेट की दया पर निर्भर हो जाएंगे. किसानों की चार में से दो मांगों- बिजली के दामों में बढ़ोतरी वापसी और पराली जलाने पर जुर्माना खत्म करने- पर जनवरी में सहमति बन गई थी लेकिन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी की कानूनी गारंटी को लेकर बात अब भी अटकी हुई है.
Posted By – Arbind kumar mishra