किसान आंदोलन का असर फैक्ट्रियों पर भी 1800 फैक्ट्रियां बंद होने के कगार पर
किसान आंदोलन का असर ना सिर्फ यात्रा पर किसानों पर बल्कि व्यापार पर भी पड़ रहा है. कोरोना काल में फैक्ट्रियों के काम पर असर पड़ रहा है. एक आंकड़े के अनुसार 1800 फैक्ट्रियां बंद होने की कगार पर पहुंच गयी है.
किसान आंदोलन का असर ना सिर्फ यात्रा पर किसानों पर बल्कि व्यापार पर भी पड़ रहा है. कोरोना काल में फैक्ट्रियों के काम पर असर पड़ रहा है. एक आंकड़े के अनुसार 1800 फैक्ट्रियां बंद होने की कगार पर पहुंच गयी है.
यह समस्या हो रही है ट्रासपोर्ट की वजह से. एक्सपोर्ट करने वाली कंपनी, कोल्ड स्टोरेज, ट्रेक्सटाइल और स्टीक की कंपनियों पर इसका असर पड़ा है. सिंधु बोर्डर जाम होने के बाद दिल्ली पुलिस ने भी दूसरे रास्ते बंद कर दिये हैं.
दिल्ली के कई व्यापारी बाहर से रॉ मेटेरियल मंगाकर उसकी पैकिंग करके बेचते थे. इन रास्तों के बंद होने से उनके सामान आने का औऱ पैक होकर दूसरे राज्यों में जाने का रास्ता बंद हो गया है. कई कंपनियों के सामान पैक होकर गोदाम में पड़े हैं, ऐसे में इन कंपनियों के मालिक को नुकसान भी हो रहा है.
व्यापारियों ने कहा कि कई आर्डर पेडिंग पड़े हैं, बाहर से कई व्यापारियों ने अपनी फैक्ट्री के लिए सामान मंगवाया था जो पहुंच नहीं पा रहे. कई लोगों के आर्डर को कैंसिल कर दिया गया है. इन सबका असर उनके व्यापार पर पड़ रहा है.
यही नहीं कई फैक्ट्रियों के मजदूर भी अपनी फैक्ट्री तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. सिंघु बॉर्डर बंद होने की वजह से दूसरे रास्तों पर भी असर पड़ा है. नरेला से मजदूरों का भी आना मुश्किल हो रहा है. कई कंपनियों ने मजदूरों को फैक्ट्रियों में रोक रहा है ताकि काम प्रभावित ना हो, कई फैक्ट्रियों ने मजदूरों को छुट्टी दे दी है जबकि कई फैक्ट्रियों में मजदूरों को एक दिन छुट्टी, एक दिन काम के फार्मूले पर काम चलाया जा रहा है.
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कई व्यापारियों का कहना है कि अगर इसी तरह चलता रहा तो मजदूरों को वेतन देना भी मुश्किल हो जायेगा. इस इलाके में लगभग 25000 काम करने वालों पर इसका सीधा असर पड़ेगा. कोरोना संक्रमण का असर फैक्ट्रियों पर पड़ा. फैक्ट्रियों के साथ- साथ इसका असर आजादपुर मंडी पर भी पड़ा. इस औद्योगिक क्षेत्र में लगभग 300 कोल्ड स्टोरेज हैं. कई फल और सब्जियों के आर्डर भी रोके गये हैं. इनकी स्पलाई महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में होती है.