खूब बिक रहे हैं राकेश टिकैत के पोस्टर और आंदोलन साहित्य की किताबें
दिल्ली के सिंघू बार्डर पर राकेश टिकैत के कटआउट की मांग, केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन में, गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान हुयी हिंसा के बाद, फिर से जान फूंक देने का श्रेय पाने वाले इन किसान नेता की बढ़ती लोकप्रियता दर्शाती है .
दिल्ली के सिंघू बार्डर पर राकेश टिकैत के कटआउट की मांग, केंद्र के नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन में, गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड के दौरान हुयी हिंसा के बाद, फिर से जान फूंक देने का श्रेय पाने वाले इन किसान नेता की बढ़ती लोकप्रियता दर्शाती है .
सिंघू बार्डर पर सड़क किनारे स्टॉलों पर बैज, पोस्टर एवं किसान आंदोलन से जुड़े साहित्य बिकते नजर आ जाते हैं. प्रदर्शन स्थल पर एक ऐसा ही स्टॉल लगाये वासिम अली ने कहा कि हाथ में रखने वाले टिकैत के कटआउट की अच्छी खासी मांग है. उसने कहा, ‘‘टिकैत का कटआउट 20 रूपये का है. मैं पिछले कुछ दिनों से बेच रहा हूं क्योंकि उसकी बड़ी मांग है. ”
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पश्चिम दिल्ली के बवाना के रहने वाले अली का कहना है कि रोज करीब 700-800 कटआउट बिक जाते हैं. उसने कहा, ‘‘ आमतौर पर मैं सदर बाजार से ये कटआउट खरीदता हूं और उन्हें यहां बेचता हूं. मेरे स्टॉल पर यह सबसे अधिक मांग वाली चीज है. ”
टिकैत की छवि को तब बल मिला जब गणतंत्र दिवस की हिंसा के बाद गाजीपुर बार्डर पर बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश के पुलिसकर्मियों के जमा हो जाने के बाद भी उन्होंने आंदोलन जारी रखने की घोषणा की . हालांकि ऐसी अटकलें थीं कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है. गणतंत्र दिवस पर प्रदर्शनकारी किसानों का एक वर्ग दिल्ली में घुस गया और वह आईटीआो एवं लालकिले तक पहुंच गया.
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इस वर्ग ने पुलिस के साथ झड़प की और इस झड़प में बड़ी संख्या में लोग घायल हुए तथा बसों समेत संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया. जब गाजीपुर बार्डर पर बड़ी संख्या में उत्तर प्रदेश के पुलिसकर्मी पहुंचे तब भारतीय किसान यूनियन के नेता टिकैत अस्वस्थ थे. वह विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ वहां दो महीने से अधिक समय से डेरा डाले हुए थे. उन्होंने भावुक भाषण दिया और फिर आंदोलन में तेजी आ गयी.