मुकदमा वापसी होने तक आंदोलन खत्म नहीं करेंगे किसान, सरकार की ओर से डेडलाइन की घोषणा कराने पर अड़े नेता

किसान आंदोलन: संयुक्त किसान मोर्चा बुधवार तक सरकार के जवाब का इंतजार के बाद आज सुबह 10 बजे आपात बैठक करने जा रहा है. इस बैठक में केंद्रीय मंत्री भी शामिल होंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 8, 2021 1:04 PM

नई दिल्ली : किसानों पर किए गए मुकदमे की वापसी तक आंदोलन वापस नहीं होगा. किसान संगठनों के नेता सरकार की ओर से मुकदमा वापसी के लिए समयसीमा की घोषणा किए जाने के मामले को लेकर अड़े हुए हैं. किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि किसानों का आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार हमारी मांगों को स्वीकार नहीं कर लेती. अगर हम अपना आंदोलन वापस ले लेते हैं, तो इससे हमारे लिए समस्या पैदा हो जाएगी, क्योंकि सरकार हमारे ऊपर दर्ज मुकदमों को वापस नहीं लेगी. सरकार को मुकदमा वापस लेने के लिए समयसीमा की घोषणा करनी चाहिए.

एक साल से अधिक समय से चल रहा किसानों का आंदोलन अभी समाप्त नहीं होगा. किसान संगठनों ने कुछ संशोधनों के साथ सरकार के प्रस्ताव को वापस कर दिया है. संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय समिति के सदस्य अशोक धवले ने बुधवार को कहा कि हम सरकार की सराहना करते हैं कि वह बातचीत के लिए तैयार है और लिखित में कुछ दे रही है, लेकिन उसके प्रस्ताव में कुछ खामियां थीं. इसलिए कल रात को ही हमलने इसे कुछ संशोधनों के साथ वापस भेज दिया है और उनकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

संयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय समिति के सदस्य अशोक धवले ने बुधवार को कहा कि सरकार की ओर से सैद्धांतिक तौर पर मुआवजे को मंजूरी दे दी गई है. हमें पंजाब मॉडल जैसा कुछ ठोस चाहिए. उन्होंने बिजली बिल को वापस लेने का भी वादा किया था, लेकिन अब वे हितधारकों के साथ इस पर चर्चा करना चाहते हैं और फिर इसे संसद में रखना चाहते हैं. यह विरोधाभासी है.

उन्होंने कहा कि किसान संघ के सदस्यों सहित एमएसपी-केंद्रित समिति के गठन की आवश्यकता है. सरकार ने यह भी कहा कि किसान आंदोलन खत्म करने के बाद हमारे खिलाफ दर्ज मामले वापस ले लिए जाएंगे, जो गलत है. हमें यहां ठंड में बैठना पसंद नहीं.

तीन कृषि कानूनों के विरोध में बीते करीब एक साल से किसान आंदोलन चल रहा है. पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन कृषि कानूनों को वापस करने का ऐलान इसमें मास्टर स्ट्रॉक बना है. उनके ऐलान के बाद संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन सरकार ने तीन कृषि कानूनों को दोनों सदनों में वापस कर दिया है. अब किसान आंदोलन को समाप्त करने के लिए बुधवार की सुबह 10 बजे संयुक्त किसान मोर्चा की आपात बैठक बुलाई गई है, जिसमें केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे. हालांकि, यह बैठक दोपहर बाद दो बजे आयोजित की जानी थी.

मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, गृह मंत्रालय की ओर से दिए गए प्रस्ताव पर विचार करने के लिए किसान आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने मंगलवार को एक बैठक कर गुप्त मंत्रणा भी की है. इस बैठक में संगठन के पांच सदस्य शामिल हुए थे. इस बैठक के बाद शामिल सदस्यों ने मोर्चा के सामने सभी प्रस्ताव रखे. बैठक में रखे गए प्रस्तावों में किसान नेताओं ने तीन बिंदुओं पर चर्चा की और सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए. उन्होंने सरकार से बुधवार तक स्पष्टीकरण भी मांगा है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, संयुक्त किसान मोर्चा बुधवार तक सरकार के जवाब का इंतजार करने के बाद दोपहर दो बजे बैठक कर आगामी रणनीति पर अहम फैसला करना था, लेकिन अब यह बैठक सुबह 10 बजे ही आयोजित की जाएगी. रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि आंदोलन का समाधान सरकार के जवाब पर निर्भर करता है. बैठक में शामिल सदस्यों ने सरकार पर नजरअंदाज किए जाने का आरोप लगाते हुए कड़े तेवर दिखाए थे और मंगलवार की बैठक में दिल्ली कूच जैसे कार्यक्रमों का फैसला लेने के संकेत दिए थे. इसके चलते कुंडली में मंगलवार को एसकेएम की बैठक शुरू होते ही केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से 6 सूत्रीय प्रस्ताव के साथ एक प्रतिनिधिमंडल को किसान कमेटी से बातचीत के लिए भेजा.

Also Read: Kisan Andolan: किसान नेता बोले- एमएसपी कमेटी को लेकर आंदोलन पर अगला फैसला अगली मीटिंग में लिया जाएगा

संयुक्त किसान मोर्चा कमेटी के सदस्य बलबीर सिंह राजेवाल, शिवकुमार कक्का, गुरनाम सिंह चढूनी, युद्धवीर सिंह और अशोक धवले ने मीडिया से बातचीत के दौरान साफ तौर पर कहा कि जिन 3 मुद्दों पर असमंजस की स्थिति बनी है, उन पर सहमति के बाद ही किसान आंदोलन वापस लेने के बारे में विचार करेंगे. सरकार ने लिखित प्रस्ताव भेजकर अच्छी पहल की है. अब लगता है कि जल्द ही सभी मुद्दों पर बाकी सहमति बनाने का प्रयास करेगी.

Next Article

Exit mobile version