Kisan Andolan Updates : ‘किसान आंदोलन के कारण बंद टीकरी बार्डर, अब तक 20,000 करोड़ का हो चुका है नुकसान’
Kisan Andolan Updates : कृषि कानूनों के विरोध में आठ माह से किसानों का आंदोलन जारी है. यहां से दिल्ली का मुख्य रास्ता टिकरी बार्डर से गुजरता है जो बंद है. Hisar news, Kisan andolan, Haryana Politics, Farmers protest, Tikri border
Kisan Andolan Updates : कृषि कानूनों के विरोध में आठ माह से किसानों का आंदोलन जारी है. यहां से दिल्ली का मुख्य रास्ता टिकरी बार्डर से गुजरता है जो बंद है. चेंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज (बीसीसीआई) से जुड़े उद्यमियों ने बंद टिकरी बॉर्डर खुलवाने की मांग की है.
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री मोहन लाल को पत्र भेजकर कहा है कि बार्डर बंद होने से स्थानीय उद्यमियों को अब तक 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. 7.5 लाख लोगों का रोजगार प्रभावित हो रहा है. उद्यमियों ने चेतावनी दी कि यदि रास्ते तुरंत नहीं खुलवाए गए तो वे आंदोलन को बाध्य होंगे.
बहादुरगढ़ के उद्यमी बृहस्पतिवार को बीसीसीआई के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरिन्दर छिकारा के नेतृत्व में आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र (एमआइई) में इकट्ठे हुए और प्रदर्शन किया. सूचना मिलने पर एसडीएम हितेंद्र कुमार मौके पर पहुंचे. उद्यमियों ने उन्हें बताया कि टिकरी बॉर्डर बंद होने के बाद फैक्ट्रियों के वाहनों व अन्य वाहनों को एमआई पार्ट-2 से खेतों के कच्चे रास्ते होकर से दिल्ली जाना पड़ता है.
टोल तो देना ही पड़ता है और रास्ता देने के लिए खेतों के मालिक प्रति वाहन 100-100 रुपये लेते हैं. अब खेतों के रास्ते में पानी भर गया है. वाहनों का निकलना मुश्किल हो रहा है. उनका ट्रांसपोर्ट खर्च 300 प्रतिशत बढ़ गया है. समय भी ज्यादा लगता है. उद्योगपतियों ने एसडीएम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नाम अपनी मांग के अलग-अलग पत्र सौंपे.
साढ़े सात लाख लोगों की रोजी पर संकट : प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में नरिंदर छिकारा ने बताया है कि बहादुरगढ़ के उद्योगों का कुल टर्नओवर करीब 80,000 करोड़ है. किसान आंदोलन की वजह से अब तक करीब 20,000 करोड़ का नुकसान हो चुका है. उद्योग गहरे संकट में फंसे हैं. परोक्ष व अपरोक्ष रूप से रोजगार पा रहे 7,50,000 लोगों के रोजगार पर संकट है. आंदोलनकारी किसानों ने एनएच-9 के दोनों तरफ की सड़क को घेर रखा है.
नरिन्दर छिकारा ने कहा कि हम किसानों के विरोधी नहीं हैं, लेकिन उन्हें हमारा भी ख्याल रखना चाहिए. हमें भी अपने धंधे चलाने हैं. सात-आठ लाख लोगों का रोजगार बर्बाद हो गया है. रास्ते जल्द नहीं खुलवाए गए तो हम भी आंदोलन को बाध्य होंगे.