दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन किसानों के ट्रैक्टर परेड में भड़की हिंसा को लेकर पुलिस लगातार जांच कर रही है. अब तक तक कुल 38 FIR दर्ज की गई और 84 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं दिल्ली पुलिस को आम जनता से ट्रैक्टर परेड हिंसा से संबंधित 1,700 वीडियो क्लिप, सीसीटीवी फुटेज प्राप्त हुई हैं. दिल्ली पुलिस मोबाइल कॉल के डेटा, ट्रैक्टरों के पंजीकरण संख्या की भी पड़ताल कर रही है.
अब खबर है दिल्ली पुलिस ने हिंसा में ट्रैक्टर चालक की मौत को लेकर भ्रामक ट्वीट करने के आरोप में कांग्रेस सांसद शशि थरूर, वरिष्ठ पत्रकारों और अन्य के खिलाफ आईपी एस्टेट पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया है. सभी पर आरोप है कि ट्वीट के माध्यम से किसान के मौत की गलत और भ्रामक जानकारी शेयर की गयी है.
इससे पहले भी नोएडा पुलिस ने भी कांग्रेस सांसद शशि थरूर व छह पत्रकारों समेत आठ लोगों के खिलाफ राजद्रोह तथा अन्य आरोपों में मामला दर्ज किया है.
Case registered at IP Estate Police Station against Congress MP Shashi Tharoor, senior journalists & others for their tweets which had fake, misleading & wrong information regarding death of a tractor driver in an accident, to instigate violence amongst protestors: Delhi Police
— ANI (@ANI) January 30, 2021
इधर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने पार्टी सांसद शशि थरूर और कुछ पत्रकारों के खिलाफ नोएडा पुलिस द्वारा मामला दर्ज किए जाने की आलोचना करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों को भाजपा सरकार की ओर से धमकाने का चलन खतरनाक है.
कांग्रेस की उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका ने ट्वीट किया, भाजपा सरकार द्वारा पत्रकारों एवं जनप्रतिनिधियों को प्राथमिकी दर्ज कर धमकाने का चलन बहुत ही खतरनाक है. लोकतंत्र का सम्मान सरकार की मर्जी नहीं, बल्कि उसका दायित्व है. भय का माहौल लोकतंत्र के लिए जहर के समान है. उन्होंने आरोप लगाया, भाजपा सरकार ने वरिष्ठ पत्रकारों व जनप्रतिनिधियों को धमकाने के लिए प्राथमिकी दर्ज करके लोकतंत्र की मर्यादा को तार-तार किया है.
पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की एडिटर्स गिल्ड, आईडब्ल्यूपीसी ने की निंदा
मीडिया संगठनों ने गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड और उस दौरान यहां हुई हिंसा की रिपोर्टिंग करने को लेकर वरिष्ठ संपादकों एवं पत्रकारों के खिलाफ प्राथमिकियां दर्ज किये जाने की कड़ी निंदा की. साथ ही, उन्होंने इस कार्रवाई को मीडिया को ‘डराने-धमकाने’ की कोशिश बताया है. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने वक्तव्य जारी कर मांग की कि ऐसी प्राथमिकियां तुरंत वापस ली जाएं तथा मीडिया को बिना किसी डर के आजादी के साथ रिपोर्टिंग करने की इजाजत दी जाए.
Posted By – Arbind kumar mishra