‘ये किसान आंदोलन नहीं शाहीनबाग 2 की तैयारी है…’, धरने पर बैठे किसानों को देख सोशल मीडिया पर हाईट्रेंड

धरने पर बैठे किसानों को देख सोशल मीडिया पर यह हाईट्रेंड होने लगा है कि ये किसान आंदोलन नहीं शाहीनबाग 2 की तैयारी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 28, 2020 12:47 PM
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केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को उग्र होते देख आखिरकार सरकार झुक गयी और किसानों को दिल्ली में प्रवेश की इजाजत दे दी. इसके बाद बुराड़ी मैदान में किसानों का प्रदर्शन शुरू हो गया. इधर, धरने पर बैठे किसानों को देख सोशल मीडिया पर यह हाईट्रेंड होने लगा है कि ये किसान आंदोलन नहीं शाहीनबाग 2 की तैयारी है.

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दरअसल, नये कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों में उबलते क्रोध को कई लोग सोशल मीडिया में हवा दे रहे हैं. और उसे शाहिनबाग पार्ट 2 करार दे रहे हैं. किसान आंदोनल की आड़ में सोशल मीडिया को जरिया बनाकर कई ऐसे लोग हैं जो अपनी ही रोटियां सेंकने में लगे हैं. और धीरे धीरे यह मामला हाईट्रेंड भी होता जा रहा है. हालांकि इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि सरकार शुरू से ही किसानों से बातचीत करने के लिए तैयार है. उन्होंने अपील की है कि किसान आंदोलन छोड़कर बातचीत के लिए आगे बढ़ें.

गौरतलब है कि तीन नये कृषि कानून के खिलाफ किसानों ने दिल्ली चलो मार्च का आह्वान किया था. और देश के कई हिस्सों से किसान दिल्ली पहुंचे. वहीं, किसानों को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने दिल्ली-हरियाणा सीमा पर किसानों को रोकने की कोशिश भी की. इस दौरान आंदोलन पर उतारु किसानों और पुलिस के बीच झड़पें भी हईं. गुस्साये किसानों ने पथराव कर बैरिकेडिंग तोड़ दिया. जिसके बाद किसानों को दिल्ली में इंट्री मिली.

उत्तर प्रदेश में चक्का जाम : कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर यूपी में भी किसानों चक्का जाम और प्रदर्शन किया. किसानों ने आज (शनिवार) और रविवार को भी आंदोलन जारी रखने का एलान किया है.

क्या था शाहिनबाग प्रदर्शन : संसद में सीएए-एनआरसी बिल पास होने के बाद शाहीन बाग में इसके खिलाफ एक प्रदर्शन शुरू हो गया था. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (NRC) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग में जाड़े की सर्द रातों में महिलाएं, बच्चे और बूढ़ी औरतें बीच सड़क पर और खुले आसमान के नीचे धरने पर बैठीं. शाहीन बाग की तर्ज पर देश के कई हिस्सों में सीएए-एनआरसी के खिलाफ महिलाओं और बच्चों ने मोर्चा खोला.

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