हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले कुछ ऐसी खबरें आ रहीं हैं जो भाजपा और कांग्रेस की चिंता बढ़ा सकती हैं. प्रदेश में चुनाव में अब कुछ दिन का समय बचा है लेकिन पर्यटन शहरों धर्मशाला व मैक्लॉडगंज में बहुत से लोगों का मानना है कि उनके सामने अभी कई समस्याएं हैं जिनमें – यातायात जाम, खस्ताहाल सड़कें एवं खराब संपर्क प्रमुख हैं जिनके कारण स्थानीय लोगों के साथ ही यहां आने वाले पर्यटकों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. यात्रा और आतिथ्य उद्योग से जुड़े लोग राजनीतिक नेताओं द्वारा प्रस्तावित विकास या भविष्य की गारंटी के दावों पर ध्यान देने के बजाय पर्यटन सीजन के अंतिम चरण के दौरान आगंतुकों का स्वागत करने में अधिक रुचि ले रहे हैं.
हिमाचल प्रदेश के मैक्लॉडगंज में पर्यटन उद्योग कोविड-19 महामारी के बाद उपजे हालातों से उबर रहा है लेकिन यातायात जाम, पार्किंग स्थलों की कमी, खराब सड़कों जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी अब भी यहां बरकरार है और पर्यटकों को भी इसका खामियाजा उठाना पड़ता है.
‘ट्रैवल एंड टूर’ ऑपरेटर बिपिन राणा ने कहा कि यात्रियों को बेहतरीन अनुभव उपलब्ध कराने के लिये शहर के अंदर और आसपास के इलाकों में थीम पार्क और बड़े होटल विकसित किये जाने चाहिए जिससे पर्यटक आकर्षित हों. उन्होंने कहा कि आकर्षण की कमी और खराब हवाई संपर्क के चलते धर्मशाला महज एक रात ठहरने की जगह बन गया है. धर्मशाला और मैक्लॉडगंज के बीच यात्रा समय को सड़क मार्ग से लगने वाले 45 मिनट से पांच मिनट करने के लिए 200 करोड़ रुपये की लागत से विकसित की गयी रोप-वे परियोजना का भी अपेक्षित फायदा नहीं मिलता दिख रहा. इससे यातायात की समस्या का समाधान नहीं हुआ और टिकट की ऊंची दर की वजह से ज्यादा लोग उससे सफर नहीं करते.
एक अन्य टूर संचालक दीपक भी राणा की राय से इत्तेफाक रखते हैं. वे यात्रा पर आये परिवारों को पैकेज देने में नाकाम रहते हैं क्योंकि इससे आने-जाने की लागत 2,500 रुपये तक पहुंच जाती है. उन्होंने कहा कि कुछ रियायतों की घोषणा की गयी लेकिन तब भी एक तरफ का किराया 300 रुपये प्रति टिकट है तो वहीं आने-जाने के लिये टिकट की दर 450 रुपये है. धर्मशाला में पार्किंग की कमी भी यात्रियों का यहां से मोहभंग करती है. राणा का मानना है कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के कारण अंतरराष्ट्रीय यात्रा मानचित्र पर होने के बावजूद मैक्लॉडगंज को एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में उचित तवज्जो नहीं मिल रही है। इतना ही नहीं यहां ज्यादा खर्च करने वाले अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों और यात्रियों की कम आमद भी होटल उद्योग से जुड़े लोगों की चिंता की वजह है.
होटल कारोबारी और ‘होटल एंड रेस्तरां एसोसिएशन ऑफ स्मार्ट सिटी धर्मशाला’ के महासचिव संजीव गांधी कहते हैं कि विशेष रूप से महामारी के बाद यात्रा उद्योग के प्रति सरकार की उदासीनता ने हितधारकों को अधिक नुकसान पहुंचाया है. वह कहते हैं कि पर्यटन को ‘उद्योग’ का दर्जा दिया जाना हमारे लिए अहम चुनावी मुद्दा है. गांधी कहते हैं, “राज्य में पर्यटन क्षेत्र उस पार्टी का समर्थन करेगा जो वास्तव में उसकी समस्याओं का समाधान करेगी और उसे उद्योग का दर्जा देगी.”
यहां चर्चा कर दें कि धर्मशाला सीट से तीन निर्दलीय समेत कुल छह उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी ने जहां राकेश चौधरी को टिकट दिया है, वहीं कांग्रेस ने पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा को अपना उम्मीदवार बनाया है. कुलवंत सिंह राणा आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को विधानसभा चुनाव हैं और मतगणना आठ दिसंबर को होगी. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य में अपनी सत्ता कायम रखने की कोशिश कर रही है तो कांग्रेस की नजर भाजपा की सरकार को हटाने पर है.