शुद्धता की पहचान मेधा डेयरी, दुग्ध उत्पादन में किसानों की बढ़ी आय, कोरोना संकट में रोजगार का मुख्य जरिया
Jharkhand Milk Production: झारखंड में शुद्धता और स्वास्थ्य के लिए मेधा डेयरी (Medha Dairy) जाना-पहचाना नाम है. मेधा डेयरी को मोस्ट ट्रस्टेड ब्रांड माना जाता है. आज दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में मेधा डेयरी झारखंड में जाना-माना नाम है. झारखंड राज्य में दुग्ध उत्पादन की सफलता को समझने के लिए आपको गुजरे कल का रूख करना होगा.
Jharkhand Milk Production: झारखंड में शुद्धता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में मेधा डेयरी जाना-पहचाना नाम है. मेधा डेयरी को मोस्ट ट्रस्टेड ब्रांड माना जाता है. आज दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में मेधा डेयरी झारखंड में काफी फेमस है. झारखंड राज्य में दुग्ध उत्पादन की सफलता को समझने के लिए गुजरे कल का रूख करना होगा, जब इस क्षेत्र के लिए कई कदम उठाए गए.
सहकारी दुग्ध महासंघ का गठन से खुला रास्ता
जून 2013 में राज्य सरकार ने झारखंड राज्य सहकारी दुग्ध महासंघ का गठन किया. राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के योगदान और भूमिका को ध्यान में रखकर राज्य सरकार ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड से प्रबंधन और संचालन का आग्रह किया. 1 मार्च 2014 को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और कृषि पशुपालन और झारखंड सहकारिता विभाग के बीच एमओयू साइन किया गया. इसके साथ ही राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को राज्य में डेयरी विकास की जिम्मेदारी सौंपी गई.
वक्त गुजरा और राज्य में दुग्ध उत्पादन का बढ़ता गया. दिसंबर 2021 को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग (झारखंड) के बीच एमओयू साइन हुआ. साथ ही राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को 5 साल के लिए राज्य के डेयरी विकास की जिम्मेदारी दी गई.
राज्य के इन 17 जिलों से दुग्ध की खरीदारी
रांची, रामगढ, लोहरदगा, खूंटी, हजारीबाग, कोडरमा, देवघर, पलामू, गढ़वा, चतरा, लातेहार, बोकारो, गोड्डा, दुमका जामतारा, गिरिडीह और गुमला
झारखंड के लोगों के बीच मेधा का जलवा
2020-21 में झारखण्ड दुग्ध महासंघ ने औसत 1.06 लाख किलोग्राम प्रतिदिन दूध की खरीदारी की. इसके साथ ही औसत 1.05 लाख लीटर प्रतिदिन दूध की बिक्री की गई. दूध के अतिरिक्त महासंघ मेधा डेयरी के ब्रांड के नाम से दूध की बिक्री भी करता है. मेधा डेयरी के दही, लस्सी, पेड़ा, पनीर, गुलाब जामुन, खीर मिक्स, फ्लेवर्ड मिल्क की भी काफी डिमांड है.
झारखण्ड दुग्ध महासंघ के प्रगति की एक झलक
दुग्ध संग्रहण केंद्र की संख्या (साल में)
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2014-15: 348
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2015-16: 410
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2016-17: 480
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2017-18: 554
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2018-19: 562
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2019-20: 630
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2020-21: 689
कुल किसानों सदस्यों की संख्या
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2014-15: 4,318
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2015-16: 8,518
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2016-17: 15,272
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2017-18: 19,259
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2018-19: 20,553
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2019-20: 20,282
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2020-21: 22,036
ऐसे बढ़ा दुग्ध संकलन (हजार किग्रा प्रतिदिन)
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2014-15: 14
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2015-16: 45
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2016-17: 68
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2017-18: 97
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2018-19: 125.17
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2019-20: 117.53
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2020-21: 106.13
दुग्ध बिक्री केंद्र की संख्या
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2014-15: 555
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2015-16: 885
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2016-17: 1.048
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2017-18: 2,394
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2018-19: 3,200
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2019-20: 4,252
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2020-21: 5,130
औसत दुग्ध बिक्री- रिटेल (हजार लीटर प्रति दिन)
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2014-15: 20
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2015-16: 30
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2016-17: 47
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2017-18: 68
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2018-19: 86.02
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2019-20: 103
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2020-21: 104.63
औसत दुग्ध बिक्री- बल्क (हजार लीटर प्रति दिन)
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2014-15: 0
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2015-16: 6
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2016-17: 6
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2017-18: 13
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2018-19: 22
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2019-20: 6
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2020-21: NA
वार्षिक बिक्री कारोबार (करोड़ में)
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2014-15: 20.5
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2015-16: 53.33
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2016-17: 81.28
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2017-18: 136.9
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2018-19: 173.3
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2019-20: 185.47
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2020-21: NA
दिसंबर 2021 तक राज्य में तीन नई डेयरी ईकाई
झारखंड दुग्ध महासंघ के अधीन चार डेयरी प्रसंस्करण इकाई (रांची, देवघर, कोडरमा और लातेहार) में है. इनकी कुल प्रसंस्करण क्षमता 1.4 लाख लीटर प्रतिदिन है. रांची स्थित डेयरी प्लांट राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के सहयोग से राज्य सरकार ने तैयार किया है. इसका उद्घाटन फरवरी 2016 में किया गया. रांची के अलावा देवघर, कोडरमा और लातेहार में पहले से डेयरी संचालित थी. इसके अलावा सारठ, साहेबगंज और पलामू में भी डेयरियां तैयार की जा रही हैं. इनके काम शुरू करने के बाद डेयरियों की क्षमता 50 हजार लीटर प्रतिदिन की होगी. इनकी क्षमता एक लाख लीटर प्रतिदिन तक बढ़ाई जा सकती है. नई डेयरियों की बात करें तो सारठ में जून 2021, साहेबगंज में दिसंबर 2021 और पलामू में मार्च 2022 डेयरी शुरू हो जाएगी.
झारखंड दुग्ध उत्पादन महासंघ की सफलता
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राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में गिरिडीह और जमशेदपुर में दो नई डेयरी ईकाई और रांची में एक उत्पाद डेयरी और एक मिल्क पाउडर प्लांट बनाने की घोषणा की है.
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झारखण्ड दुग्ध महासंघ की रांची अवस्थित डेयरी ISO प्रमाणित डेयरी.
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झारखंड दुग्ध महासंघ से नए डेयरी उत्पाद और फ्लेवर्ड मिल्क, खीर मिक्स, गुलाब जामुन का उत्पादन.
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आने वाले सालों में नए डेयरी उत्पाद का उत्पादन और विपणन प्रारंभ करने का टारगेट.
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कोरोना महामारी में रोजगार का मुख्य जरिया बना दुग्ध उत्पादन.
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किसानों को दूध के मूल्य का भुगतान प्रत्येक दस दिन के अंतराल में सीधे अकाउंट में होता है. ऐसा करने वाला झारखंड दुग्ध महासंघ देश में पहला.
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झारखंड दुग्ध महासंघ से जुड़ी बबीता देवी को फरवरी 2020 में डेयरी क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए मिला राष्ट्रीय पुरस्कार.