बेइज्जत कर हटाए गए थे कांग्रेस के आखिरी गैर-गांधी अध्यक्ष केसरी, पार्टी में उनके खिलाफ बनाया गया था माहौल

Congress President Election: बिहार के वरिष्ठ कांग्रेस नेता सीताराम केसरी 1996 से 1998 तक इस पार्टी के अध्यक्ष रहे. 1967 में सीताराम केसरी कटिहार लोकसभा सीट से सांसद बने. इसके बाद केसरी 1971 से 2000 तक 5 बार राज्यसभा के सदस्य चुने गए.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 31, 2022 9:49 PM

Congress President Election: कांग्रेस के नए अध्यक्ष के चुनाव की खबरें इन दिनों सुर्खियों में है. सियासी गलियारों में चर्चा गरम है कि 24 साल बाद कांग्रेस इस बार गैर-गांधी परिवार के किसी सदस्य को अध्यक्ष की कमान सौंप सकती है. इस रेस में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम सबसे आगे चल रहा है. कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ मुलाकात के बाद अशोक गहलोत को पार्टी की कमान सौंपे जाने की अटकलें लगाई जा रही है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस के नए अध्यक्ष को लेकर फैसला जल्द आ जाएगा.

गैर-गांधी परिवार से सीताराम केसरी रहे कांग्रेस के अंतिम अध्यक्ष

बिहार के वरिष्ठ कांग्रेस नेता सीताराम केसरी 1996 से 1998 तक इस पार्टी के अध्यक्ष रहे. 1967 में सीताराम केसरी कटिहार लोकसभा सीट से सांसद बने. इसके बाद केसरी 1971 से 2000 तक 5 बार राज्यसभा के सदस्य चुने गए. सीताराम केसरी इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में मंत्री भी रहे. इतना लंबे राजनीतिक अनुभव वाले सीताराम केसरी को बेरुखी के साथ पार्टी के अध्यक्ष पद से हटाया गया था. बताया जाता है कि सोनिया गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने के लिए सीताराम केसरी के साथ बेहद खराब बर्ताव किया गया था.

केसरी के खिलाफ पार्टी में बनाया गया माहौल!

12वें लोकसभा चुनाव में देशभर में कांग्रेस को 142 सीटें आई थीं. कांग्रेस के एक गुट ने इस हार ठिकरा सीताराम केसरी पर फोड़ दिया था. आरोप लगे कि सीताराम केसरी के कमजोर नेतृत्व के चलते पार्टी को सानिया गांधी का फायदा नहीं मिल पाया. बताया जाता है कि यहीं से पार्टी के कुछ नेताओं ने सीताराम केसरी को कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाने की प्लानिंग शुरू कर दी थी. केसरी पिछड़ी जाति से आते थे और माना जाता है कि उच्च जाति से आने वाले कई कांग्रेसी नेता सीताराम केसरी को अपना नेता ही नहीं मानते थे.

बेइज्जत कर हटाए गए थे सीताराम केसरी

14 मार्च 1998 को कांग्रेस के नेताओं ने सीताराम केसरी को बेइज्जत किया और उन्हें पार्टी के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया. 5 मार्च 1998 को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक बुलाई गई. इसमें फैसला लिया गया कि सोनिया गांधी पार्टी के कार्यों में ज्यादा सक्रिय हों और संसदीय दल का नेता चुनने में मदद करें. उस वक्त संसदीय दल के नेता सीताराम केसरी ही थी. पार्टी में अपने खिलाफ कई तरह की गतिविधियों को देखते हुए 9 मार्च 1998 को सीताराम केसरी ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, कुछ ही मिनट बाद उनका मन बदल गया और कहा कि उन्होंने केवल मंशा जाहिर की है, इस्तीफा नहीं दिया है. केसरी ने तय किया कि वह AICC की आम सभा में कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कुर्सी छोड़ेंगे. इसके बाद 14 मार्च 1998 को सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाकर सीताराम केसरी को अपने इस्तीफे पर फैसला करने की मांग रख दी. कुछ समय बाद औपचारिक रूप से सोनिया गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया. तत्काल सीताराम केसरी का नेमप्लेट उखाड़कर कूड़ेदान में फेंक दिया गया. इसके बाद सीताराम केसरी 24 अकबर रोड को छोड़कर जा रहे थे तभी यूथ कांग्रेस के कुछ उदंड कार्यकर्ताओं ने उनकी धोती खोलने की भी कोशिश की थी.

पीएम मोदी ने कही ये बात

साल 2018 में पीएम मोदी ने छत्तीसगढ़ के महासमंद की रैली में कहा कि देश को पता है. सीताराम केसरी, पीड़ित, शोषित समाज से आए हुए व्यक्ति को पार्टी के अध्यक्ष पद से कैसे हटाया गया. कैसे बाथरूम में बंद कर दिया गया था. कैसे दरवाजे से हटा कर, उठा कर फुटपाथ पर फेंक दिया गया था. सोनिया जी को बैठा दिया गया था. यह इतिहास हिंदुस्तान भली-भांति जानता है. उनको मजबूरी में बनाया था, उसको भी वह दो साल झेल नहीं पाए. देश के प्रतिष्ठित स्वतंत्रता सेनानी और वरिष्ठ नेता के साथ पार्टी के अंदर ही हुए इस तरह के व्यवहार से कांग्रेस के कई कार्यकर्ता बेहद नाराज थे.

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