Assembly Elections 2023: निर्वाचन आयोग द्वारा पूर्वोत्तर के राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में चुनाव की घोषणा के बाद सियासी चर्चाओं का सिलसिला तेज हो गया है. बताया जा रहा है कि पूर्वोत्तर में बीजेपी (BJP) के लिए दांव बढ़ता जा रहा है. हालांकि, यहां चुनावी मुकाबला के दिलचस्प होने की संभावना जताई जा रही है.
बता दें कि बीजेपी शासित त्रिपुरा में 16 फरवरी को मतदान होगा. इसके बाद, मेघालय और नागालैंड में 27 फरवरी को एक साथ मतदान होगा. बीजेपी वर्तमान में क्षेत्रीय दिग्गजों के नेतृत्व वाले गठबंधन का हिस्सा है. इसके अतिरिक्त, छह राज्यों की सात विधानसभा और लोकसभा सीटों पर उपचुनाव की प्रक्रिया एवं तारीखों की भी घोषणा की गई है. जिन सीटों के लिए उपचुनाव की घोषणा की गई है, उनमें अरुणाचल प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु की 1-1 विधानसभा सीट के साथ ही महाराष्ट्र की दो विधानसभा सीटें शामिल हैं. इसके अलावा, केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप की एक लोकसभा सीट पर भी उपचुनाव की घोषणा की गई है.
त्रिपुरा में बीजेपी एक स्थानीय सहयोगीआईपीएफटी (IPFT) के साथ सत्ता में है और पार्टी के रूप में इस प्रमुख राज्य में दांव सबसे अधिक हैं. 2018 में त्रिपुरा में महत्वपूर्ण पैठ बनाने के बाद बीजेपी ने इसे समाप्त कर दिया था. यहां वाम दलों का लंबा शासन रहा है, लेकिन सत्ता विरोधी लहर को विफल करने के लिए 2022 में बिप्लब देब को मुख्यमंत्री पद से हटाना पड़ा. नए मुख्यमंत्री डॉ माणिक साहा, राज्य इकाई में बढ़ते विखंडन और अपने निकटतम सहयोगी आईपीएफटी के साथ एक उथल-पुथल भरे रिश्ते की चुनौती का सामना कर रहे हैं. इन सबके बीच, बीजेपी के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने हाल ही में पार्टी के लिए समर्थन जुटाने के लिए जन विश्वास यात्रा को हरी झंडी दिखाई है. हालांकि, विरोधी कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने अगरतला में एक संयुक्त रैली के साथ इसका मुकाबला किया. क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस (TMC) की बढ़ती उपस्थिति पूर्व कांग्रेस महिला सुष्मिता देव के नेतृत्व में कुछ लहरें पैदा कर सकती है. ऐसे में त्रिपुरा में मुकाबला के दिलचस्प होने की संभावना जताई जा रही है.
2018 में मेघालय में नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) और बीजेपी गठबंधन की सरकार बनी थी. वहीं, कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. हालांकि, बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई थी. चुनाव में अलग-अलग लडे़ एनपीपी-बीजेपी ने गठबंधन किया. एनपीपी के कोनराड संगमा मुख्यमंत्री बने. हालांकि, चुनाव से पहले यहां भी राजनीतिक उथल-पुथल जारी है. चर्चा है कि गठबंधन सरकार चला रही एनपीपी और बीजेपी के बीच भी दरारें दिख रही हैं. हाल ही में 2 विधायक एनपीपी से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए. कहा जा रहा है कि 2018 की तरह ही इस बार भी दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे. बीजेपी ने नए सिरे से मेघालय में संगठन खड़ा किया है. दूसरी पार्टियों के कई नेताओं को पार्टी में शामिल भी कराया है.
नागालैंड में 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी नगा पीपुल्स फ्रंट (NPF) दो टुकड़ों में बंट गई थी. बागियों ने नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) बनाई. पार्टी के बड़े नेता और राज्य के सीएम रहे नेफ्यू रियो बागी गुट के साथ चले गए. चुनाव से पहले एनपीएफ ने बीजेपी से गठबंधन तोड़ लिया. बीजेपी और NDPP ने मिलकर चुनाव लड़ा. एनडीपीपी को 17 तो बीजेपी को 12 सीटों पर जीत मिली. गठबंधन सत्ता में आया, जिसके बाद नेफ्यू रियो मुख्यमंत्री बने. नेफ्यू रियो के सीएम बनने के बाद 27 सीट जीतने वाली एनपीएफ के ज्यादातर विधायक एनडीपीपी में शामिल हो गए. इससे एनडीपीपी विधायकों का आंकड़ा 42 पर पहुंच गया. वहीं, NPF के केवल 4 विधायक बचे. बाद में NPF ने भी सत्ताधारी गठबंधन को समर्थन दे दिया. मौजूदा समय में राज्य विधानसभा के सभी 60 विधायक सत्तापक्ष में हैं. इस बार यहां सीट बंटवारे में विवाद हो सकता है. बताया जा रहा है कि बीजेपी अभी ज्यादा सीटों की डिमांड कर रही है. यही कारण है कि चुनाव से पहले गठबंधन में दरार पड़ सकती है.