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Kolkata Case: सुप्रीम कोर्ट का आदेश, सोशल मीडिया से हटानी होगी पीड़िता की तस्वीरें और वीडियो

Kolkata Doctor Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की उस प्रशिक्षु डॉक्टर का नाम, फोटो और वीडियो को सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने का आदेश दिया है.

By Pritish Sahay | August 20, 2024 7:10 PM

Kolkata Doctor Murder Case: सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में महिला डॉक्टर से कथित दुष्कर्म और हत्या मामले की मंगलवार को सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट के स्वत: संज्ञान वाले इस मामले में कोर्ट ने कई निर्देश दिए हैं. इसी कड़ी में कोर्ट ने दुष्कर्म और हत्या की शिकार डॉक्टर की पहचान और शरीर का खुलासा करने वाली सभी तस्वीरें और वीडियो को हटाने का निर्देश दिया है. याचिकाकर्ता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक दुष्कर्म पीड़िता की पहचान को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता. इसके बाद भी पीड़िता की तस्वीर सोशल मीडिया पर है. सुप्रीम कोर्ट ने सभी जगहों से पीड़िता की तस्वीर हटाने का निर्देश दिया है.

खराब हो सकती है परिवार की प्रतिष्ठा- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि सोशल मीडिया में पीड़िता की तस्वीर दिखाने के परिवार की प्रतिष्ठा खराब हो रही है. लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस कारण सुप्रीम कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर अस्पताल में दुष्कर्म और हत्या की शिकार डॉक्टर की पहचान और शरीर का खुलासा करने वाली सभी तस्वीरें और वीडियो हटाने का निर्देश दिया है. इससे पहले कोलकाता हाईकोर्ट ने भी पीड़िता की पहचान को उजागर नहीं करने को कहा था.

तत्काल प्रभाव से तस्वीर हटाने का निर्देश
चीफ जस्टिस, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यौन उत्पीड़न की पीड़िता की पहचान का खुलासा निपुण सक्सेना मामले में पारित उसके आदेश का उल्लंघन है. पीठ ने कहा कि पीड़िता के शव की तस्वीरों और वीडियो क्लिप का सोशल मीडिया पर प्रसार हो रहा है. हम निर्देश देते हैं कि पीडिता का नाम, फोटो और वीडियो क्लिप को सभी सोशल मीडिया मंच से तुरंत हटाया जाए. बता दें, सुप्रीम कोर्ट पीड़िता की पहचान का सोशल मीडिया पर खुलासा किये जाने के खिलाफ वकील किन्नोरी घोष और अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

निपुण सक्सेना मामले में क्या था निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि निपुण सक्सेना मामले में 2018 के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोई भी व्यक्ति प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल मीडिया में पीड़िता का नाम न ही छाप सकता है और न प्रकाशित कर सकता. यहां तक ​​कि अन्य किसी तरीके से भी ऐसे किसी तथ्य का खुलासा नहीं कर सकता जिससे पीड़िता की पहचान का खुलासा होता हो और जिससे उसकी पहचान व्यापक स्तर पर लोगों को पता चल जाए. भाषा इनपुट के साथ

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