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Krishi Bill 2020: कृषि विधेयक अब बन गये कानून, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दी मंजूरी, विरोध शुरू

Krishi Bill 2020: कृषि बिल (Agriculture Bill) के खिलाफ मोदी सरकार को काफी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. इसी बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने सभी कृषि विधेयकों को अपनी मंजूरी दे दी है.

Krishi Bill 2020: कृषि बिल (Agriculture Bill) के खिलाफ मोदी सरकार को काफी विरोध का सामना करना पड़ रहा है. इसी बीच राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने सभी कृषि विधेयकों को अपनी मंजूरी दे दी है. बता दें कि राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद से ही ये तीनों कृषि विधेयक अब एक्ट यानि कानून बन गए हैं. गौरतलब है कि इस विधेयकों को कुछ दिनों पहले ही लोकसभा और फिर राज्यसभा में पास किया गया था. दोनों सदनों से पास किये जाने के बाद इन विधेयकों को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था.

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लाये गये नये कृषि बिल का जबरदस्त विरोध हो रहा है. संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद इन्हें राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था, लेकिन विपक्षी पार्टी राष्ट्रपति से इन बिलों पर साइन ना करने की अपील की थी. गौरतलब है कि इन बिलों पर देश के कई हिस्सों में किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. कृषि बिल के विरोध में जहां एक और केंद्र सरकार में मंत्री रही हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया वहीं विपक्ष भी लगातार इस बिल का विरोध कर रहा है. राहुल गांधी समेत विपक्ष के तमाम नेता इस बिल को काला कानून बता रहे हैं तो वहीं कईयों ने तो कोर्ट जाने की भी बात कही है.

महाराष्ट्र में लागू नहीं होगा ये एक्ट?

वही बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद महाराष्ट्र सरकार के राजस्व मंत्री और कांग्रेस नेता राजस्व मंत्री ने कहा कि संसद द्वारा पारित बिल किसान विरोधी हैं. इसलिए हम इसका विरोध कर रहे हैं. महा विकास अगाड़ी की सरकार महाराष्ट्र में भी इसका विरोध करेगा और इसे लागू नहीं करेगा. शिवसेना भी हमारे साथ है और हम एक साथ बैठेंगे और एक रणनीति बनाएंगे. वहीं कल कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से भी बिल को लेकर मुलाकात करेगा. बता दें कि बिल को लेकर किसानों और विपक्ष का आरोप है कि इससे मंडी व्यवस्था समाप्त हो जायेगी और किसानों को फसलों की एमएसपी न्यूनतम समर्थन मूल्य) नहीं मिल पायेगी किसान संगठनों का आरोप है कि यह बिल किसानों के हित में नहीं है. इस बिल से किसानों के खेतों और मंडियों में बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों का कब्जा हो जायेगा.

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