केंद्र सरकार द्वारा लाये गये नये कृषि बिल का जबरदस्त विरोध हो रहा है. पूरे देश में किसानो ने बिल के विरोध में प्रदर्शन किया. कृषि बिल के विरोध में जहां एक और केंद्र सरकार में मंत्री रही हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया वहीं विपक्ष भी लगातार इस बिल का विरोध कर रहा है. राहुल गांधी ने बिल को काला कानून बताते हुए कोर्ट जाने की बात कही है.
बिल को लेकर किसानों और विपक्ष का आरोप है कि इससे मंडी व्यवस्था समाप्त हो जायेगी और किसानों को फसलों की एमएसपी न्यूनतम समर्थन मूल्य) नहीं मिल पायेगी किसान संगठनों का आरोप है कि यह बिल किसानों के हित में नहीं है. इस बिल से किसानों के खेतों और मंडियों में बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों का कब्जा हो जायेगा. जबकि सरकार का दावा है कि कृषि में लाए जा रहे बदलावों से किसानों की आमदनी बढ़ेगी, उन्हें नए अवसर मिलेंगे. बिचौलिए खत्म होंगे. इससे सबसे ज्यादा फायदा छोटे किसानों को होगा. किसान मंडी से बाहर भी अपना सामान ले जाकर बेच करते हैं.
हालांकि प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री बार बार यह कह रहे हैं कि एमएसपी और मंडी व्यवस्था पहले की तरह ही रहेगी. पर इसे लेकर किसान संगठन यह चाहते है कि सरकार इसका कानून बना दें. किसान चाहते है कि सरकार एमएसपी को लेकर कानून बना दें. जिससे किसान मंडी या उसके बाहर सरकार द्वारा तय एमएसपी पर अपना उत्पाद बेच पायें.
लोकसभा में इसे लेकर कृषि मंत्री नरेंद्र सिहं तोमर ने भी कहा था कि एमएसपी भी रहेगा और कृषि मंडियां भी रहेंगी. अब किसान देश में कहीं पर भी मंडी के बाहर भी अपनी फसल, किसी भी कीमत पर बेचने को स्वतंत्र है. अब बिल की मुख्य बातों पर गौर कर करें बिल कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 है जो एक ऐसा क़ानून होगा जिसके तहत किसानों और व्यापारियों को एपीएमसी की मंडी से बाहर फ़सल बेचने की आज़ादी होगी. इसे लेकर सरकार कह रही है कि मंडियां बंद नहीं हो रही है. सिर्फ किसानों के लिए ऐसी व्यवस्था दी जा रही है जिसके तहत वह किसी भी खरीदार को अच्छे दाम पर अपनी फसल बेच सकता है.
कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) क़ीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर क़रार विधेयक, 2020 है. यह ऐसा बिल है जिसके तहत किसानों को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के लिए एक ढांचा मुहैया कराया जायेगा. फिर जब कांट्रैक्ट एक्ट सेवा में आएगा और उस पर 18 प्रतिशत जीएसटी लग जाएगा. यानी अब खलिहान में भी टैक्स लगेगा. मार्केंटिंग में कोई विवाद हुआ अथवा फसल की गुणवत्ता सही नहीं रही तो पैसा नहीं मिलेगा. इसकी गारंटी किसी ने नहीं ली है.
क्या है एमएसपी
किसानों को अपने फसल में नुकसान नहीं हो इसके लिए देश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की व्यवस्था लागू की गयी है. इसमें अगर फसल की कीमत बाजार के मुताबिक कम मिलती है तो सरकार उसे एमएसपी के हिसाब से खरीद लेती है. ताकि किसानों को नुकसान से बचाया जा सके. एमएसपी पूरे देश के लिए एक होती है.
Posted By: Pawan Singh