बौद्ध सर्किट का सेंटर प्लेस है कुशीनगर, इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनने से पर्यटन की बढ़ेंगी संभावनाएं, मिलेंगे रोजगार के अवसर

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में तथागत बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली के कुशीनगर जिले में नये इंटरनेशनल एयरपोर्ट की स्थापना से पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास को नयी गति मिलेगी. मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में इंटरनेशनल एयरपोर्ट के रूप में अभी दो एयरपोर्ट लखनऊ और काशी में संचालित हैं. तथागत बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट की मांग वर्षों से की जा रही थी.

By Kaushal Kishor | June 24, 2020 6:10 PM
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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में तथागत बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली के कुशीनगर जिले में नये इंटरनेशनल एयरपोर्ट की स्थापना से पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास को नयी गति मिलेगी. मालूम हो कि उत्तर प्रदेश में इंटरनेशनल एयरपोर्ट के रूप में अभी दो एयरपोर्ट लखनऊ और काशी में संचालित हैं. तथागत बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट की मांग वर्षों से की जा रही थी.

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बौद्ध सर्किट की दृष्टि से कुशीनगर सेंटर प्लेस है. यहां से करीब 150 किलोमीटर की दूरी पर भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुंबिनी है. साथ ही उसी के पास कपिलवस्तु भी है. भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश भी दिया था. यह स्थान भी कुशीनगर से 200 किलोमीटर के दायरे में है. भगवान बुद्ध की ज्ञानस्थली बोधगया भी अधिक दूरी पर नहीं है. इसलिए कुशीनगर बौद्ध सर्किट का महत्वपूर्ण स्थल है.

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उत्तर प्रदेश में बौद्ध सर्किट से जुड़े छह स्थल हैं. भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर, पैतृक साम्राज्य स्थल कपिलवस्तु, प्रथम उपदेश स्थल सारनाथ और श्रावस्ती, कौशांबी और संकिसा. सारनाथ और श्रावस्ती में भगवान बुद्ध ने जीवन के सर्वाधिक समय चातुर्मास व्यतीत किये. इन महत्वपूर्ण स्थलों के कारण बौद्ध पर्यटन की दृष्टि से कुशीनगर एयरपोर्ट बनने के बाद रोजगार की संभावनाएं भी पूर्वी उत्तर प्रदेश में बनेंगी.

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इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास को नयी गति देने में भी कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट की नयी भूमिका होगी. कुशीनगर को दक्षिण-पूर्व एशिया के उन सभी देशों से जोड़ने की भी योजना है, जहां के लोग भगवान बुद्ध से अपना आत्मीय संबंध जोड़ते हैं. एयर कनेक्टिविटी मिलने से लोग आसानी से यहां आना-जाना कर सकेंगे और पर्यटन की संभावनाएं विकसित होंगी.

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कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनने से विशेष तौर पर थाईलैंड, सिंगापुर, लाओस, कंबोडिया, जापान, कोरिया, श्रीलंका आदि देश भी इस एयरपोर्ट के माध्यम से जुड़ेंगे. इससे पर्यटन, विकास और रोजगार की ढेर सारी संभावनाएं उत्पन्न होंगी. मालूम हो कि कुशीनगर एयरपोर्ट के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने 590 एकड़ भूमि अधिग्रहीत कर करीब 190 करोड़ रुपये की लागत से एयरपोर्ट निर्माण की प्रक्रिया शरू की थी. बाद में उत्तर प्रदेश सरकार ने अक्टूबर, 2019 में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के साथ एमओयू भी साइन किया था.

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