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चीन की हर चाल होगी बेनकाब, 27000 करोड़ खर्च कर बनेगा 1700 किलोमीटर लंबा ‘फ्रंटियर हाईवे’

India China Border Issue: भारत ने चीन के हर चाल को बेनकाब करने के लिए नए सिरे से प्लानिंग की है. इसी के मद्देनजर, सरकार अगले 5 वर्षों में अरुणाचल प्रदेश में एक नया राजमार्ग बनाने जा रही है.

By Samir Kumar | December 19, 2022 1:27 PM

India China Border Issue: चीन से तनातनी के बीच भारत ने ड्रैगन के हर चाल को बेनकाब करने के लिए नए सिरे से प्लानिंग की है. इसी के मद्देनजर, सरकार अगले 5 वर्षों में अरुणाचल प्रदेश में एक नया राजमार्ग बनाने जा रही है, जो भारत-तिब्बत-चीन-म्यांमार सीमा के करीब से गुजरेगा.

जानिए क्या है उद्देश्य

सामने आ रही जानकारी के मुताबिक, कुछ स्थानों पर यह फ्रं​टियर हाईवे अंतरराष्ट्रीय सीमा से 20 किमी के करीब होगा. सड़क परिवहन मंत्रालय की ओर से इस 1,748 किलोमीटर लंबी टू-लेन सड़क का निर्माण किया जाएगा. इसका उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों से लोगों के प्रवास को रोकना है. यह सबसे लंबा प्रस्तावित राष्ट्रीय राजमार्ग है, जिसे केंद्र ने हाल के दिनों में एक बार में अधिसूचित किया है. बताया जा रहा है कि अरुणाचल में चीन के बार-बार घुसपैठ के प्रयासों को देखते हुए यह सड़क सीमा पर सुरक्षा बलों और उपकरणों की निर्बाध आवाजाही के लिए बेहद अहम होगा और इसे एनएच-913 के नाम से जाना जाएगा.

योजना पर खर्च होंगे 27,000 करोड़ रुपये!

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, यह राष्ट्रीय राजमार्ग बोमडिला से शुरू होगा, जो नफरा, हुरी और मोनिगोंग से होकर गुजरेगा. साथ ही यह सड़क चीन की सीमा के सबसे करीब जिदो और चेनक्वेंटी से भी गुजरेगी, जो भारत-म्यांमार सीमा के पास विजयनगर में समाप्त होगी. पूरे नेशनल हाईवे को नौ पैकेजों में बांटा गया है. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि इस परियोजना पर लगभग 27,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे, लेकिन, अब सरकार लागत कम करने के विकल्पों पर विचार कर रही है.

सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने बुनियादे ढ़ांचे को मजबूत कर रहा भारत

इस फ्रंटियर हाईवे से कनेक्ट होने के लिए अरुणाचल प्रदेश में इंटर-कॉरिडोर विकसित करने का भी प्रस्ताव है. सरकार इन गतिविधियों को अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के करीब स्थित गांवों के विकास को गति देने के लिए देखती है. बताते चलें कि चीन कथित तौर पर एलएसी पर अपनी तरफ बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है. एलएसी पर अपनी तैयारियों को पुख्ता रखने के लिए भारत भी सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने बुनियादे ढ़ांचे को मजबूत कर रहा है.

परियोजना के 2026-27 तक पूरा होने की उम्मीद

टीओआई की रिपोर्ट में एक सरकारी अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि लगभग 800 किमी का गलियारा ग्रीनफील्ड होगा, क्योंकि इन हिस्सों पर कोई मौजूदा सड़क नहीं है. साथ ही कुछ पुल और सुरंगें भी होंगी. उन्होंने कहा कि 2024-25 में इस प्रोजेक्ट के सभी कार्यों की स्वीकृति को पूरा करने की योजना बनाई है और आमतौर पर निर्माण पूरा होने में लगभग दो साल लगते हैं. जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, विभिन्न पैकेज पूरे होंगे, जबकि पूरी परियोजना के 2026-27 तक पूरा होने की उम्मीद है.

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