Ladakh News: एक बार फिर से आंदोलन शुरू कर सकते हैं सोनम वांगचुक, उनकी मांगों के बारे में जानें यहां

जलवायु परिवर्तन एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक काफी समय से लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे हैं. सोनम ने हाल ही में एक साक्षात्कार में कहा कि यदि सरकार ने उनकी बात नहीं मानी तो आगामी 15 अगस्त से फिर से आंदोलन शुरू करेंगे.

By Kushal Singh | July 29, 2024 10:32 AM

Ladakh News: जलवायु परिवर्तन एक्टिविस्ट एवं सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक फिर से आंदोलन शुरू कर सकते हैं. एक साक्षात्कार में सोनम ने उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया तो वो 15 अगस्त से आंदोलन शुरू करेंगे.बता दें कि सोनम काफी समय से लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा की मांग कर रहे हैं. इसके पीछे उनका तर्क है कि बिना दर्जे के लद्दाख को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा है कि यदि उनकी मांगों पर बातचीत करने के लिए, केंद्र सरकार कोई कदम नहीं बढ़ाती तो वो स्वतंत्रता दिवस से 28 दिन का अनशन शुरू करेंगे.

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यदि मांग नहीं मानी गई तो 15 अगस्त से विरोध प्रदर्शन शुरू होगा

सोनम वांगचुक ने एक समाचार एजेंसी को दिए साक्षात्कार में कहा, “हम चुनाव के दौरान सरकार पर बहुत अधिक दबाव नहीं डालना चाहते थे. हमें उम्मीद थी कि नई सरकार ठोस कदम उठाएगी. अगर वे हमारे अनुरोध को नजरअंदाज करते हैं और हमें बातचीत के लिए नहीं बुलाते हैं, तो हम 15 अगस्त को फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू करेंगे.” वांगचुक ने आगे इस बात की जानकारी भी दी कि शीर्ष निकाय, लेह (एबीएल) और लद्दाख से कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) ने पिछले हफ्ते कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ के लिए द्रास की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मांगों का एक ज्ञापन सौंपा था.

संवैधानिक सुरक्षा और पूर्ण राज्य के दर्जे की हो रही है मांग

एबीएल और केडीए की काफी समय से लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल किए जानें की मांग कर रहे हैं. जिससे राज्य को संवैधानिक रूप से सुरक्षित बनाया जा सकता है. इनकी सबसे बड़ी मांग लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की है. उनका कहना है कि अनुच्छेद 370 हटने के पहले अपनी संवैधानिक सुरक्षा प्राप्त थी जो अभी प्राप्त नहीं है.
बताते चलें कि संविधान की छठी अनुसूची में अनुच्छेद 244(2) और अनुच्छेद 275(1) आते है जिसके तहत राज्यों को विशेष मिलते हैं. असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम ये ऐसे राज्य है जो छठी अनुसूची में आते हैं. छठी अनुसूची के अंतर्गत, जनजातीय क्षेत्रों में स्वायत्त जिले बनाने का प्रावधान है.

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