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Land Reform: देश के ग्रामीण क्षेत्रों में 95 फीसदी जमीन रिकॉर्ड का हुआ है डिजिटलीकरण

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान कहा कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण से कई चुनौतियों को दूर करने में मदद मिली है. जटिल पेपर वर्क और जमीन के मालिकाना हक संबंधी विवादों में कमी आयी है. ग्रामीण भारत में 95 फीसदी जमीन के रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण पूरा हो चुका है.

Land Reform: देश में जमीन को लेकर विवादों की संख्या काफी अधिक है. जमीन विवाद सुलझाने में वर्षों लग जाते है. ऐसे में जमीन से जुड़े विवाद को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने जमीनों के रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण करने का फैसला लिया. यह योजना वर्ष 2016 में शुरू की गयी और ग्रामीण भारत में इसका व्यापक असर दिख रहा है. इस योजना से जमीन प्रबंधन में अधिक पारदर्शिता आयी है और गांव के लाखों लोगों का सशक्तिकरण हुआ है. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान कहा कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण से कई चुनौतियों को दूर करने में मदद मिली है. जटिल पेपर वर्क और जमीन के मालिकाना हक संबंधी विवादों में कमी आयी है. ग्रामीण भारत में 95 फीसदी जमीन के रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण पूरा हो चुका है.

जमीन रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण से जमीन संबंधी विवाद, धोखाधड़ी और जमीन प्रबंधन का काम में पारदर्शिता आयी है. अब एक क्लिक पर जमीन के मालिकाना हक संबंधी जानकारी हासिल की जा सकती है. इससे अवैध कब्जे की समस्या में भी कमी आयी है. जमीन के डिजिटल रिकॉर्ड से विवाद हल करने, अदालतों पर बोझ कम करने में मदद मिली है. साथ ही समाज के गरीब और वंचित तबके का जमीन पर अधिकार सुनिश्चित करने में भी मदद मिली है. डिजिटल जमीन रिकॉर्ड को भू-स्थानिक मैपिंग से जोड़ने से भूमि प्रबंधन का काम बेहतर तरीके से होगा और इससे सर्वे और योजना बनाने में मदद मिलेगी. भूमि अधिग्रहण और आपदा के दौरान जमीन के डिजिटल रिकॉर्ड से तय समय में और उचित लोगों को मुआवजा देने में भी मदद मिलेगी. 

जमीन संबंधी विवाद में आयी है व्यापक कमी


डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम जिसे पहले नेशनल लैंड रिकॉर्ड मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम के नाम से जाना जाता था एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे अप्रैल 2016 में शुरू किया गया था. इसका मकसद देश में एक आधुनिक और पारदर्शी समग्र लैंड इनफार्मेशन मैनेजमेंट सिस्टम का निर्माण करना था. इस योजना के तहत देश के 6.26 लाख गांवों में जमीन रिकॉर्ड का 95 फीसदी डिजिटलीकरण हो चुका है. भू-संपत्ति मैप का डिजिटलीकरण का काम राष्ट्रीय स्तर पर 68.02 फीसदी हो चुका है, जबकि 87 फीसदी सब-रजिस्ट्रार ऑफिस को जमीन रिकॉर्ड के साथ जोड़ा जा चुका है.

सरकार ने इस योजना को वर्ष 2025-26 तक बढ़ा दिया है और इसमें कई नये पहलुओं को जोड़ा है, जैसे जमीन रिकॉर्ड को आधार से जोड़ना और राजस्व अदालतों का कंप्यूटरीकरण करना है. यूनिक लैंड पार्सल आइडेंटिफिकेशन नंबर या भू-आधार के तहत हर जमीन के टुकड़े को 14 डिजिट का नंबर दिया जाता है. यह देश के 29 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेश में लागू है. इससे रियल एस्टेट में होने वाले लेन-देन, जमीन संबंधी विवाद और आपदा प्रबंधन प्रयास को मदद मिलती है. इसके अलावा सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं.    

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