Lateral Entry: के जरिये 45 पदों पर संघ लोकसेवा आयोग द्वारा नियुक्ति की अधिसूचना जारी होने पर उठे राजनीतिक विरोध का असर दिखा. विपक्षी दलों और एनडीए के सहयोगी दलों के विरोध को देखते हुए सरकार ने फिलहाल इस नियुक्ति पर रोक लगाने का निर्णय लिया है. सरकार के फैसले के बाबत केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के संविधान के प्रति प्रतिबद्धता को एक बार फिर महत्वपूर्ण निर्णय द्वारा प्रतिस्थापित किया है. संघ लोकसेवा आयोग ने लैटरल एंट्री के लिए एक बेहद ट्रांसपेरेंट तरीका अपनाया था. इसमें भी अब आरक्षण का प्रावधान लागू करने का निर्णय लिया गया है.
पिछड़ा वर्ग आयोग को दिया गया संवैधानिक दर्जा
उन्होंने कहा कि पहले ओबीसी कमिशन जो एक साधारण संस्था थी उसे मोदी सरकार ने संवैधानिक दर्जा दिया. नीट हो, मेडिकल एडमिशन हो, सैनिक विद्यालय या नवोदय विद्यालय हों, हमने सभी जगह आरक्षण का प्रावधान लागू किया गया. यही नहीं मोदी सरकार ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के पंचतीर्थ को भी गौरवपूर्ण स्थान दिलाया. यह गौरव की बात है कि भारत की राष्ट्रपति भी आदिवासी समाज से आती हैं. मोदी सरकार की समाज के वंचित तबके पर प्रतिबद्धता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकार की योजना का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है.
यूपीए सरकार ने लेटरल एंट्री में नहीं रखा आरक्षण का ध्यान
वैष्णव ने कहा कि वर्ष 2014 से पहले यूपीए सरकार में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं किया गया. वित्त सचिव के पद पर भी नियुक्ति लेटरल एंट्री के जरिए किए गये. डॉक्टर मनमोहन सिंह, डॉ मोंटेक सिंह अहलूवालिया और उससे पहले विजय केलकर भी लेटरल एंट्री के द्वारा ही वित्त सचिव बने थे. क्या कांग्रेस ने उस समय आरक्षण के प्रावधान का ध्यान रखा था? संघ लोकसेवा आयोग में लेटरल एंट्री के द्वारा ट्रांसपेरेंसी लाई जा रही थी और अब उसमें आरक्षण का प्रावधान लाकर सोशल जस्टिस का ध्यान रखते हुए संविधान के प्रति प्रतिबद्धता स्पष्ट की गई है.