लॉ की अंतिम परीक्षा होगी ऑनलाइन, अदालत में परीक्षा को चुनौती देने वाली याचिका खारिज़
दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश भर के विश्वविद्यालयों को विधि (लॉ) की अंतिम वर्ष की परीक्षा ऑनलाइन माध्यम से कराने का निर्देश देने वाली ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया' (बीसीआई) की अधिसूचना को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया. विधि की पढ़ाई कर रहे दो छात्रों ने यह याचिका दायर कर दावा किया था कि चूंकि लॉ कॉलेज पाठ्यक्रम पूरा नहीं कर पाये हैं और कक्षाएं संचालित नहीं कर पाये हैं, इसलिए उन्हें परीक्षाएं आयोजित कराने की अनुमति नहीं दी जा सकती.
विधि की पढ़ाई कर रहे दो छात्रों ने यह याचिका दायर कर दावा किया था कि चूंकि लॉ कॉलेज पाठ्यक्रम पूरा नहीं कर पाये हैं और कक्षाएं संचालित नहीं कर पाये हैं, इसलिए उन्हें परीक्षाएं आयोजित कराने की अनुमति नहीं दी जा सकती. न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिये याचिका की सुनवाई की.
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पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अखिल भारतीय मुद्दे के संबंध में चिंता प्रकट की है और यह (अदालत) इसपर विचार नहीं कर सकती क्योंकि याचिकाकर्ताओं में शामिल एक छात्र उस विश्वविद्यालय में पढ़ाई नहीं कर रहा है जो दिल्ली उच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में आता हो. अदालत ने जब याचिका के मौजूदा स्वरूप पर विचार करने की अनिच्छा जाहिर की तब याचिकाकर्ताओं के वकील ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी.
यह याचिका विधि के दो छात्रों, दिल्ली विश्वविद्यालय के कैम्पस लॉ सेंटर -1 के अंतिम वर्ष के एक छात्र और कर्नाटक विश्वविद्यालय के पांच वर्षीय एलएलबी पाठ्यक्रम के तीसरे वर्ष के एक छात्र ने दायर की थी. याचिका में बीसीआई की अधिसूचना के अलावा डीयू की 27 जून की अधिसूचना को भी चुनौती दी गई थी, जो अंतिम वर्ष के छात्रों की ऑनलाइन परीक्षाएं संचालित करने पर थी.
याचिका में दावा किया गया था कि विधि के मात्र 25 प्रतिशत छात्रों के पास स्मार्टफोन, कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन हैं तथा परीक्षाएं आयोजित कराने का निर्देश भेदभावपूर्ण होगा और 75 प्रतिशत छात्रों को इससे बाहर कर देगा. याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुई वकील गुंजन सिंह ने दलील दी कि बीसीआई की अधिसूचना कई छात्रों के पास लैपटॉप, कंप्यूटर, स्मार्टफोन और इंटरनेट नहीं होने पर विचार करने में नाकाम रही है.
Posted By – Pankaj Kumar pathak