देश में लंबित मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कानून एवं न्याय मंत्री किरेन रीजीजू ने शनिवार को कहा कि जब मैंने कानून मंत्री के रूप में पदभार संभाला था तब चार करोड़ से कुछ कम मामले लंबित थे. आज, यह पांच करोड़ के करीब है. यह हम सबके लिए बहुत चिंता का विषय है. इस सिलिसले में कोई कदम नहीं उठाया गया तो यह संख्या और बढ़ जाएगी. औरंगाबाद में महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एमएनएलयू) के पहले दीक्षांत समारोह में मंत्री ने आम लोगों को वकीलों की सेवा वहनीय दर पर नहीं मिलने के बारे में भी चिंता व्यक्त की.
कानून मंत्री ने कहा कि यह स्थिति न्याय प्रदान करने में किसी कमी या सरकार से समर्थन की कमी के कारण नहीं आई है, बल्कि यदि कुछ ठोस कदम नहीं उठाए गए तो लंबित मामलों में वृद्धि होना तय है. रीजीजू ने कहा, ब्रिटेन में प्रत्येक न्यायाधीश एक दिन में अधिकतम तीन से चार मामलों में निर्णय देते हैं. लेकिन, भारतीय अदालतों में प्रत्येक न्यायाधीश औसतन प्रतिदिन 40 से 50 मामलों की सुनवाई करते हैं. अब मुझे एहसास हुआ कि वे अतिरिक्त समय बैठते हैं. लोग गुणवत्तापूर्ण फैसले की उम्मीद करते हैं.
मीडिया में न्यायाधीशों के बारे में की जाने वाली टिप्पणियों का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा, कभी-कभी, मैं न्यायाधीशों के बारे में सोशल मीडिया और प्रिंट मीडिया में टिप्पणियां देखता हूं. यदि आप गौर करें कि एक न्यायाधीश को कितना काम करना होता है, तो यह अन्य सभी के लिए अकल्पनीय है. उन्होंने कहा, सोशल मीडिया के युग में मुद्दे की गहराई में जाए बिना हर किसी की अपनी राय होती है. लोग तुरंत निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं और न्यायाधीशों पर व्यक्तिगत टीका-टिप्पणी करते हैं.
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रीजीजू ने वकीलों द्वारा ली जाने वाली फीस पर भी चिंता व्यक्त की. उन्होंने कहा कि गरीब लोगों को अच्छे वकील की सेवा लेना मुश्किल होता है और यह किसी को न्याय से वंचित करने का कारण नहीं होना चाहिए. रीजीजू ने कहा, मैं दिल्ली में ऐसे कई वकीलों को जानता हूं, जो आम आदमी की पहुंच से बाहर हैं. सिर्फ इसलिए कि किसी के पास सिस्टम तक बेहतर पहुंच है, उसकी फीस अधिक नहीं होनी चाहिए.