Lawrence Bishnoi: लॉरेंस बिश्नोई के बारे में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि जेल में बंद इस गैंगस्टर पर उसका परिवार हर साल करीब 35 से 40 लाख रुपये खर्च करता है. ये पैसे उसकी देखभाल पर खर्च किए जाते हैं. यह जानकारी लॉरेंस के चचेरे भाई, 50 वर्षीय रमेश बिश्नोई ने दी. उन्होंने लॉरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi) के बचपन और अन्य पहलुओं पर भी रोशनी डाली, साथ ही यह भी बताया कि उसका नाम लॉरेंस कैसे पड़ा.
रमेश के अनुसार, पंजाब यूनिवर्सिटी (Punjab University) से लॉ की पढ़ाई करने वाले लॉरेंस के बारे में किसी ने नहीं सोचा था कि वह एक दिन अपराध की दुनिया में कदम रखेगा. रमेश ने यह भी बताया कि लॉरेंस के पिता हरियाणा पुलिस में कांस्टेबल थे और उनके पास गांव में 110 एकड़ जमीन थी. लॉरेंस हमेशा महंगे कपड़े और जूते (Lawrence always wore expensive clothes and shoes) पहनता था. आज जब वह जेल में है, तब भी उसका परिवार उसकी देखभाल में कोई कमी नहीं छोड़ता. द डेली गार्जियन के अनुसार, परिवार हर साल उसके ऊपर लगभग 40 लाख रुपये खर्च करता है.
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लॉरेंस बिश्नोई ने क्यों बदला नाम? (why did Lawrence Bishnoi change his name)
लॉरेंस बिश्नोई का जन्म पंजाब के फिरोजपुर में हुआ था, और उसका असली नाम बलकरन बरार था. स्कूल के दिनों में उसने अपनी चाची की सलाह पर अपना नाम बदलकर लॉरेंस रख लिया, क्योंकि चाची को लगता था कि यह नाम उस पर अच्छा लगेगा. हाल के वर्षों में लॉरेंस बिश्नोई का नाम कई हाई-प्रोफाइल मामलों में सामने आया है. पिछले हफ्ते मुंबई में फिल्म अभिनेता सलमान खान के दोस्त बाबा सिद्दिकी की हत्या के मामले में भी उसका नाम जोड़ा गया.
इसके अलावा, कनाडा की पुलिस ने दावा किया है कि लॉरेंस बिश्नोई गैंग की गतिविधियां उनके देश में भी सक्रिय हैं, हालांकि भारत सरकार ने इस दावे को खारिज कर दिया है. इससे पहले मई 2022 में मशहूर पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के मामले में भी बिश्नोई का नाम सामने आया था, और आरोप है कि उसकी गैंग ने ही मूसेवाला की हत्या की थी.
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लॉरेंस बिश्नोई फिलहाल गुजरात (Gujarat) के अहमदाबाद स्थित साबरमती सेंट्रल जेल (Sabarmati Central Jail) में बंद है. कई अलग-अलग मामलों में एटीएस(ATS) और एनआईए (NIA) उसकी जांच कर रही हैं. अगस्त 2023 में केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने आदेश जारी किया था कि बिश्नोई को किसी अन्य राज्य की जेल में स्थानांतरित नहीं किया जा सकता. इस आदेश की समयसीमा अगस्त में एक साल के लिए बढ़ा दी गई थी.