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दिल्ली चुनाव में दलबदलुओं पर दांव, क्या जनता करेगी स्वीकार?

Delhi Election: चुनाव से ठीक पहले दल बदलने वाले इन नेताओं के सामने जनता का विश्वास जीतने और नई पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ तालमेल बिठाने की बड़ी चुनौती है.

Delhi Election: दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी सरगर्मियां तेज हैं. राजनीतिक दलों ने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है और दिलचस्प बात यह है कि तीनों प्रमुख दल- आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने लगभग 20 ऐसी सीटों पर टिकट दिया है, जहां उम्मीदवार हाल ही में दूसरी पार्टी छोड़कर आए हैं. चुनाव से ठीक पहले दल बदलने वाले इन नेताओं के सामने जनता का विश्वास जीतने और नई पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ तालमेल बिठाने की बड़ी चुनौती है.

चुनाव से पहले दलबदल दिल्ली की नई परंपरा?

राजनीति में चुनाव के पहले दलबदल आम बात मानी जाती है और इस बार दिल्ली में भी इसका प्रचुर उदाहरण देखने को मिला. लेकिन जनता किस हद तक इन नेताओं को स्वीकार करती है, यह चुनाव के नतीजे बताएंगे. चुनावी विश्लेषकों के अनुसार, इन नेताओं को अपनी पुरानी छवि और नई पार्टी के समर्थकों के बीच सामंजस्य बैठाने में दिक्कत हो सकती है. साथ ही, अपने पुराने विरोधियों के साथ सहज होने की कोशिश भी इनके लिए चुनौतीपूर्ण साबित होगी.

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आम आदमी पार्टी एंटी-इनकंबेंसी के बीच नए चेहरों पर भरोसा

दिल्ली में 10 साल से सत्ता में काबिज आम आदमी पार्टी (आप) इस बार एंटी-इनकंबेंसी (सत्ता विरोधी लहर) का सामना कर रही है. इस चुनौती से निपटने के लिए पार्टी ने बड़ा दांव खेलते हुए कई मौजूदा विधायकों के टिकट काट दिए और अन्य दलों से आए नेताओं को मौका दिया है. इनमें ज्यादातर वे नेता हैं जो पिछले चुनाव में भाजपा या कांग्रेस के टिकट पर दूसरे स्थान पर रहे थे.

‘आप’ ने पटेल नगर (एससी) सीट से भाजपा छोड़कर आए प्रवेश रतन को टिकट दिया है. वह अब भाजपा के पूर्व मंत्री राज कुमार आनंद के खिलाफ मैदान में हैं. इसी तरह शाहदरा सीट से भाजपा के पूर्व नेता जितेंद्र कुमार शंटी, तिमारपुर से सुरेंद्र पाल बिट्टू, और छतरपुर से ब्रह्म सिंह तंवर को टिकट दिया गया है.

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दिलचस्प बात यह है कि ब्रह्म सिंह तंवर को छतरपुर से मैदान में उतारा गया है, जहां भाजपा ने करतार सिंह तंवर को टिकट दिया है. करतार सिंह ने 2020 में ब्रह्म सिंह को हराया था. इसके अलावा लक्ष्मी नगर से बीबी त्यागी और किराड़ी से अनिल झा को भी पार्टी ने टिकट दिया है.

भाजपा का दांव आप और कांग्रेस के बड़े चेहरों को टिकट

भाजपा ने भी इस बार अपने उम्मीदवारों की सूची में कई दलबदलुओं को शामिल किया है. पार्टी ने दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली को गांधीनगर से टिकट दिया है. इसी तरह आम आदमी पार्टी के पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत को बिजवासन से उतारा गया है. कांग्रेस के पूर्व नेता राज कुमार चौहान को मंगोलपुरी सीट से उम्मीदवार बनाया गया है.

इसके अलावा कस्तूरबा नगर से नीरज बसोया और जंगपुरा से तरविंदर सिंह मारवाह को टिकट दिया गया है. भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी परंपरागत रणनीति से आगे बढ़ते हुए दलबदलुओं पर भरोसा जताने के लिए तैयार है.

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कांग्रेस की रणनीति आप के असंतुष्ट नेताओं पर भरोसा

कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवारों की सूची में आप छोड़कर आए नेताओं को बड़ी जगह दी है. मुंडका से धर्मपाल लाकड़ा, जो पहले आप के विधायक थे, को टिकट दिया गया है. इसी तरह, आप पार्षद रहे राजेश गुप्ता को किराड़ी से उम्मीदवार बनाया गया है.

दिलचस्प है कि कांग्रेस ने सीलमपुर से अब्दुल रहमान को टिकट दिया है, जो हाल ही में आप छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए थे. राहुल गांधी ने दिल्ली में अपनी पहली रैली में रहमान का प्रचार किया. इसके अलावा बाबरपुर से हाजी इशराक और बिजवासन से देवेंद्र सहरावत को मैदान में उतारा गया है.

त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना

इस बार के चुनाव में भाजपा, आप और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना जताई जा रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जिन सीटों पर दलबदलुओं को टिकट दिया गया है, वहां परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैं. इन नेताओं को जनता का समर्थन पाने के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी होगी.

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दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर 5 फरवरी को मतदान होगा और परिणाम 8 फरवरी को घोषित किए जाएंगे. आम आदमी पार्टी चौथी बार सरकार बनाने की कोशिश में जुटी है, वहीं भाजपा और कांग्रेस भी वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही हैं.

क्या जनता को पसंद आएगी ‘नई चाल’?

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली की जनता ‘पुरानी घोड़ी-नई चाल’ को कितना पसंद करती है. क्या दलबदल करने वाले नेता जनता का विश्वास जीत पाएंगे या फिर उनकी पुरानी छवि उन्हें नुकसान पहुंचाएगी? यह चुनाव न केवल दिल्ली की राजनीति के लिए अहम है, बल्कि यह भी तय करेगा कि दलबदल की परंपरा जनता के नजरिए से कितनी सफल साबित होती है.

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