केंद्र सरकार अपनी उन जमीनों को बेचने की योजना बना रही है जिसका लंबे समय से कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है. रक्षा मंत्रालय के तहत ऐसी कई जमीनें हैं जिसका कोई सरकारी उपयोग नहीं हो रहा है. इस संबंध में मंत्रालय ने डीआरडीओ, तटरक्षक, आयुध निर्माणी बोर्ड सहित कई को चिट्ठी लिखी है.
मंत्रालय ने पूछा है कि ऐसी जमीनों का क्या इस्तेमाल है. उन पर कौन सा काम चल रहा है. रक्षा मंत्रालय ने इसके लिए तीन महीने का समय दिया है. इन पुरानी जमीनों में ब्रिटिश काल के कैंपिंग ग्राउंड है, दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान बनाये गये हवाई अड्डे हैं, कुछ में आयुध कारखाना है.
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मंत्रालय इन जमीनों की दो तरह से पहचान करेगा. पहली श्रेणी A-2 और दूसरी B-4 है. A-2 में सैन्य अधिकारियों द्वारा उपयोग नहीं जाता इसका इस्तेमताल अस्थायी होता है जबकि B-4 में वैसी जमीन जो किसी अन्य वर्ग की भूमि में शामिल नहीं है.
खाली भूमि और रक्षा भूमि के उपयोग के संबंध में बोस समिति की सिफारिशों को लागू किया जायेगा एक अध्ययन के बाद, तीन श्रेणियों के तहत वर्गीकृत किया गया है. इसे एक खंड में लागू करने का फैसला लिया है.