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अदालत की कार्यवाही की होगी लाइव-स्ट्रीमिंग, मसौदा तैयार, जानें क्या होंगे नियम

अब जल्द ही देश नागरिक कोर्ट की कार्यवाही देख पायेंगे. सरकार जल्द ही हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट में हो रही सुनवाई का लाइव स्ट्रीमिंग शुरु करने वाली है. सुप्रीम कोर्ट की ई समिति ने कोर्ट कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग के लिए मसौदा जारी किया है. साथ ही 30 जून तक सभी स्टेकहोल्डर्स से इसपर सुझाव भी मांगे हैं. सुप्रीम कोर्ट की ई समिति की वेबसाइट पर यह ड्राफ्ट उलपब्ध है. कोर्ट का कहना है कि लाइव स्ट्रीमिंग में शामिल होना भी कोर्ट तक पहुंचने के अधिकार में शामिल है.

अब जल्द ही देश नागरिक कोर्ट की कार्यवाही देख पायेंगे. सरकार जल्द ही हाई कोर्ट और ट्रायल कोर्ट में हो रही सुनवाई का लाइव स्ट्रीमिंग शुरु करने वाली है. सुप्रीम कोर्ट की ई समिति ने कोर्ट कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग और रिकॉर्डिंग के लिए मसौदा जारी किया है. साथ ही 30 जून तक सभी स्टेकहोल्डर्स से इसपर सुझाव भी मांगे हैं. सुप्रीम कोर्ट की ई समिति की वेबसाइट पर यह ड्राफ्ट उलपब्ध है. कोर्ट का कहना है कि लाइव स्ट्रीमिंग में शामिल होना भी कोर्ट तक पहुंचने के अधिकार में शामिल है.

कोर्ट रुम में लगाये गये कैमरे जज वकीलों, वादियों, आरोपियों और गवाहों सभी पर फोकस रहेंगे. इसके आम जनता घर बैठे देश के सबसे बेहतर वकीलों के बहस करते हुए लाइव देख पायेंगे और जानकारी हासिल कर पाएंगे. समिति के अध्यक्ष चंद्रचूड़ सिंह ने कहा कि सभी हाईकोर्ट से न्यायधीशों को मसौदा साझा किया गया है और सुझाव मांगे गये हैं. साथ ही पूरे भारत के अदालतों में हो रही कार्रवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के बेहतर कार्यान्वयन के लिए सुझाव दिये गये हैं.

लाइव स्ट्रीमिंग के लिए तैयार मसौदे के अनुसार कोर्ट रुम में पांच एंगल से कैमरे लगाये जाएंगे. इनमें एक कैमरा जज की ओर, दूसरा और तीसरा कैमरा जिरह कर रहे दोनों पक्षों के वकीलों की ओर रहेगा. जबकि चौथा और पांचवा कैमरा आरोपी और गवाह की तरफ फोकस रहेगा.

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इसके प्रसारण के नियमों के अनुसार कोर्ट के कार्रवाही की लाइव स्ट्रीमिंग करने का अधिकार सिर्फ कोर्ट के पास होगा. कोर्ट के अलावा और कोई भी कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग नहीं कर सकता है. इसके साथ ही लाइव स्ट्रीमिंग की रिकॉर्डिंग को भी प्रसारित करने का अधिकार सिर्फ कोर्ट को होगा. मसौदा के तहत इसका प्रसारण करने के लिए दोषी पाये जाने पर कॉपीराइन कानून के तहत कार्रवाई हो सकती है. आईटी कानूनों के तहत यह दंडनीय अपराध माना जाएगा.

प्रसारण के लिए अधिकृत व्यक्ति के अलावा इसका प्रसारण इलेक्ट्रॉनिल प्रिंट या डिजिटल मीडिया भी नहीं कर सकते हैं. इसके अलावा मैसेंजिंग एप पर भी इसका प्रसारण या प्रसार करने की मनाही होगी. इस नियम के खिलाफ काम करने वाले किसी व्यक्ति या संस्था के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

इस मसौदे को जस्टिस डॉ चंद्रचूड़ सिंह की अध्यक्षता वाली ई समिति ने दिल्ली हाई कोर्ट से जज न्यायधीश राजीव शकधर और वर्तमान सांसद सतीश के शर्मा के साथ व्यापक विचार विमर्श के बाद बनाया गया है. गौरतलब है कि 26 सितंबर 2018 को तीन जजों की बेंच स्वप्निल त्रिपाठी ने अदालती कार्यवाही के लाइव प्रसारण पर सहमति जतायी थी.

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हालांकि मसौदे में यह भी बताया गया है कि वैवाहिक मामले, महिलाओं के खिलाफ लैंगिक हिंसा के मामले, यौन शोषण से जुड़े मामले, पॉक्सो एक्ट और जुवेनाइल के तहत आने वाले मामलों की ऑनलाइन स्ट्रीमिंग नहीं की जाएगी. इसके अलावा संबंधिक कोर्ट के जज अपने विवेक के आधार पर उन मामलों की भी लाइव स्ट्रीमिंग रोक सकते हैं जिससे समुदायों की बीच दुश्मनी हो सकती है या कानून व्यवस्था के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है.

Posted By: Pawan Singh

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