सैन्य कैंटीन में लागू होगा ‘लोकल’ फॉर्मूला, सरकार ने सामान सप्लाई करने वाली कंपनियों से पूछा ये सवाल
पीएम नरेंद्र मोदी के लोकल से वोकल अभियान को आगे बढ़ाने में केंद्र सरकार जुट गई है. सरकार ने इसको लेकर कवायद भी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में सबसे पहले सेना और सेंट्रल पुलिस कैंटीन के सामानों को लेकर तहकीकात शुरू हो चुका है. सरकार की कोशिश है कि दोनों जगह सिर्फ लोकल सामान की ही बिक्री हो.
नयी दिल्ली : पीएम नरेंद्र मोदी के लोकल से वोकल अभियान को आगे बढ़ाने में केंद्र सरकार जुट गई है. सरकार ने इसको लेकर कवायद भी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में सबसे पहले सेना और सेंट्रल पुलिस कैंटीन के सामानों को लेकर तहकीकात शुरू हो चुका है. सरकार की कोशिश है कि दोनों जगह सिर्फ लोकल सामान की ही बिक्री हो.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने कैंटीन स्टोर डिपार्टमेंट और सेंट्रल पुलिस कैंटीन में सामान सप्लाई करने वाली कंपनियों को एक पत्र जारी किया है. पत्र में पूछा गया है कि क्या आपके कंपनी द्वारा कैंटीन में बेचे जा रहे सामान का मैन्युफैक्चरिंग भारत में होता है?
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कैंटीन में सप्लाई करने वाली कंपनियों में से एक हिंदुस्तान यूनिलीवर ने अखबार को बताया कि हां हमारे पास सरकार की ओर से कुछ सवाल आये हैं, हम उसका जवाब देंगे. हमारी कंपनी पूरी तरह से मेक इन इंडिया प्रोडक्ट बनाती है.
एक और दूसरी कंपनी नेस्ले ने भी सवाल पूछे जाने की पुष्टि की है. नेस्ले इंडिया के सीएमडी सुरेश नारायण ने बताया कि पीएम के मेक इन इंडिया अभियान में वे पूरी तरह साथ हैं. उन्होंने कहा कि कंपनी के 99.7 फीसदी कर्मचारी भारतीय है.
इससे पहले एक बयान में सरकार ने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों की सभी कैंटीन और दुकानों में स्थानीय रूप से विनिर्मित उत्पादों की बिक्री को अनिवार्य कर दिया है. ये उत्पाद उन्हें खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) के जरिये ही खरीदनी होगी.
केवीआईसी ने कहा, ‘इस कदम से किसानों, बेरोजगार युवाओं और कुटीर एवं ग्रामीण उद्योगों से जुड़े लाखों लोगों को लाभ होगा.’ गृह मंत्रालय ने इस बारे में आदेश 15 मई 2020 को जारी किया. यह आदेश आगामी 1 जून 2020 से प्रभाव में आएगा.