नयी दिल्ली : कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए भारत सरकार ने 25 मार्च 2020 को 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित किया था.देशव्यापी बंद से ट्रक,कार,बस.हवाई जहाज और ट्रेन सब एक जगह पर थम गए और मानवीय गतिविधियाँ भी रूक गयी. कई वर्षों से देख रहे है की उत्तर भारत में वायु प्रदूषण सर्दियों में अपने उच्च स्तर पर रहता है विशेष कर राजधानी दिल्ली. लेकिन नासा(NASA) द्वारा प्रकाशित हाल की आंकड़ो के अनुसार लॉकडाउन के दौरान इस क्षेत्र में वायु प्रदूषण 20 साल के निचले स्तर पर गिर गया है.
सीएनएन इंडिया की खबर के अनुसार नासा ने 2016 से 2020 तक की अवधि में 31 मार्च से 5 अप्रैल के दौराना उत्तर भारत में वायु प्रदूषण के स्तर को नापने का प्लान तैयार किया था. नासा के मार्शल स्पेस फ़्लाइट सेंटर के एक यूनिवर्सिटी स्पेस रिसर्च एसोसिएशन के वैज्ञानिक पवन गुफ्ता ने बताया कि हमें मालूम था कि लॉकडाउन के दौरान कई स्थानों पर वायुमंडलीय संरचना में बदलाव दिखेंगे लेकिन मैंने कभी भी वर्ष के इस समय में इंडो-गंगेटिक प्लेन में वायु प्रदूषण का स्तर इतना कम नहीं देखा.
रिपोर्ट के अनुसार ‘ अप्रैल की शुरूआत में उत्तरी भारत में वायु प्रदूषण को स्तर साल के इस समय से काफी कम था और MODIS के 20 साल के अवलोकन के अनुसार भी कम था. भारत में ग्राउंड ऑब्जर्वेशन स्टेशनों ने भी इस क्षेत्र में कण प्रदूषण में कमी की सूचना दी है
MODIS एक उपकरण है जिसका उपयोग बड़े पैमाने पर होने वाले परिवर्तनों की निगरानी के लिए किया जाता है, जैसे कि पृथ्वी की सतह का अनुपात प्रत्येक दिन बादलों द्वारा कवर किया जाता है
प्रदूषण के स्तर में गिरावट तब आती है जब भारत लॉकडाउन के अपने पांचवें सप्ताह में प्रवेश करता है. 25 मार्च को, भारत सरकार ने सभी निर्माण गतिविधियों, सार्वजनिक परिवहन और उद्योग को रोकते हुए एक सख्त राष्ट्रव्यापी तालाबंदी लागू की.
स्वच्छ हवा को देखने के लिए भारत एकमात्र स्थान नहीं है. कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए यात्रा और उद्योग को प्रतिबंधित करने वाले लॉकडाउन के परिणामस्वरूप दुनिया भर में घातक वायु प्रदूषण में अभूतपूर्व कमी आई है.