लॉकडाउन से अब तक एक लाख से अधिक कोरोना टेस्ट, पांच दिनों में रफ्तार डबल
Lockdown के बाद अब तक Coronavirus के एक लाख से अधिक संदिग्ध मरीजों की जांच हो चुकी है, जिसमेें से सिर्फ 5900 मरीज संक्रमित पाये गये हैं. यह दावा इंडियन मेडिकल रिसर्च काउंसिल (ICMR) ने की है. दावे के अनुसार भारत में लॉकडाउन के बाद प्रतिदिन औसतन 7200 लोगों का टेस्ट हुआ है.
नयी दिल्ली : लॉकडाउन के बाद अब तक कोरोनावायरस के एक लाख से अधिक संदिग्ध मरीजों की जांच हो चुकी है, जिसमेें से सिर्फ 5900 मरीज संक्रमित पाये गये हैं. यह दावा इंडियन मेडिकल रिसर्च काउंसिल (ICMR) ने की है. दावे के अनुसार भारत में लॉकडाउन के बाद प्रतिदिन औसतन 7200 लोगों का टेस्ट हुआ है.
आईसीएमआर ने बताया कि 25 मार्च को जब पीएम मोदी ने लॉकडाउन की घोषणा की तो उस समय तक सिर्फ 22000 लोगों का टेस्ट हुआ था, जो पिछले 15 दिनों में बढ़कर 1 लाख 30 हजार हो चुका है.
पांच दिनों में दोगुना टेस्ट- आईसीएमआर की रिपोर्ट के अनुसार 4 अप्रैल से लेकर 9 अप्रैल तक दोगुना टेस्ट किया गया. 4 अप्रैल को जहां 66000 हजार टेस्ट हुए थे, वहीं 9 अप्रैल तक यह संख्या बढ़कर 1 लाख 30 के पास पहुंच गयी. इन पांच दिनों में आईसीएमआर ने प्रतिदिन औसतन 13000 टेस्ट किये.
दिल्ली में रेपिड टेस्ट का प्लान– दिल्ली में सरकार रेपिड टेस्ट के जरिए एक लाख लोगों की जांच करेगी. सरकार दिल्ली के सभी संदिग्ध एरिया को चिह्नित कर जांच अभियान शुरू करेगी.
प्रत्येक दिन औसतन 350 मरीज– जांच के दौरान प्रत्येक दिन मरीजों की संख्या भी बढ़ती गयी. 25 मार्च को जहां कोरोनावायरस के 539 केस थे. वहीं 9 अप्रैल तक बढ़कर यह 5400 के आसपास हो गया. यानी प्रत्येक दिन कोरोना के 350 मरीज मिले हैं.
भीलवाड़ा बना रोल मॉडल– राजस्थान का भीलवाड़ा टेस्ट करने और कोरोनावायरस से जंग में रोल मॉडल बन चुका है. भीलवाड़ा में अब तक 3000 से अधिक लोगों का टेस्ट किया जा चुका है, जबकि छह करोड़ से अधिक लोगों की स्क्रिनिंग हो चुकी है.
टेस्ट की रणनीति बदली– कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने टेस्टिंग को लेकर अपनी एक बार फिर रणनीति में बदलाव किया है. ICMR की नई रणनीति के अनुसार जो भी पिछले 14 दिनों के अंदर विदेश यात्रा से लौटा है और उसके अंदर कोरोना के लक्षण हैं तो ऐसे में उसका टेस्ट किया जायेगा.