Lok Sabha Election 2024आप और कांग्रेस की राह हुई मुश्किल
लोकसभा चुनाव का तीसरे दौर का मतदान मंगलवार को होना है. लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है. सूरत, इंदौर और पुरी से कांग्रेस प्रत्याशी के चुनाव लड़ने से इंकार करने के बाद पार्टी को दिल्ली में बड़ा झटका लगा है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने […]
लोकसभा चुनाव का तीसरे दौर का मतदान मंगलवार को होना है. लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही है. सूरत, इंदौर और पुरी से कांग्रेस प्रत्याशी के चुनाव लड़ने से इंकार करने के बाद पार्टी को दिल्ली में बड़ा झटका लगा है. दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव को लेकर गठबंधन किया है और इस गठबंधन को लेकर स्थानीय पार्टी इकाई में पहले से ही असंतोष था. रही-सही कसर पार्टी उम्मीदवारों के चयन ने पूरी कर दी. गठबंधन के तहत दिल्ली में कांग्रेस तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इन तीन सीटों पर कन्हैया कुमार और उदित राज को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद दिल्ली कांग्रेस में बगावत हो गयी. प्रदेश अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने आप के साथ गठबंधन और बाहरी लोगों को प्रत्याशी बनाए जाने के खिलाफ अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. लवली के इस्तीफे के बाद दिल्ली कांग्रेस की कलह सतह पर आ गयी है और कई अन्य नेताओं ने भी पार्टी से इस्तीफा दिया. लवली के इस कदम के बाद पार्टी के कई नेताओं ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की और आखिरकार लवली और अन्य नेताओं ने शनिवार को भाजपा का दामन थाम लिया.
लवली और अन्य नेताओं के कांग्रेस छोड़ने का क्या होगा नुकसान
शीला दीक्षित की सरकार में अरविंदर सिंह लवली, राजकुमार चौहान दिल्ली सरकार में कई सालों तक मंत्री पद पर काबिल रहे. जबकि नसीब सिंह, नीरज बसोया तीन बार लगातार विधानसभा का चुनाव जीतने में कामयाब रहे. इन नेताओं की कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी पकड़ मानी जाती है और जमीनी स्तर पर जुड़े हुए है. लोकसभा चुनाव से पहले इन नेताओं के पार्टी छोड़ने से कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरेगा और पार्टी को लोकसभा चुनाव में इसका खामियाजा उठाना होगा. यही नहीं दिल्ली में सिख मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है और लवली के कांग्रेस छोड़ने से सिख मतदाताओं में अच्छा संदेश नहीं जायेगा. मौजूदा समय में दिल्ली में कांग्रेस के पास लवली के कद का कोई सिख नेता नहीं है.
आप और कांग्रेस के बीच जमीनी स्तर पर बढ़ सकता है टकराव
कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर ही अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई. मौजूदा समय में शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी सरकार घिरी हुई है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में है, जबकि पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन भी जेल में हैं. शराब घोटाले को लेकर कांग्रेस लगातार दिल्ली सरकार के खिलाफ आक्रामक रूख अपनाती रही. लेकिन चुनाव से ऐन पहले दोनों दलों के बीच गठबंधन से कांग्रेस कार्यकर्ताओं में अच्छा संदेश नहीं गया. पार्टी के कई नेता दबी जुबान में गठबंधन के खिलाफ हैं. अभी तक दोनों दलों के बीच साझा चुनावी अभियान की शुरुआत नहीं हो पायी है. लवली और अन्य नेताओं के इस्तीफे के बाद जमीनी स्तर पर आप और कांग्रेस के बीच टकराव बढ़ने की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है.