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‘इंडिया’ गठबंधन में टूट! जानिए ममता के फैसले से बीजेपी को कितना होगा फायदा?

I.N.D.I.A : पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन से किनारा कर लिया है. उन्होंने एकला चलो का नारा देते हुए प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. उनके इस फैसले से राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी को फायदा पहुंचेगा.

I.N.D.I.A : लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे पास आता जा रहा है, विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में टूट बढ़ता जा रहा है. पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार नाराज हुए, फिर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने सीट शेयरिंग का मुद्दा उठाया… अब टीएमसी सुप्रीमो और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने गठबंधन से किनारा करने का ऐलान कर दिया है. ममता बनर्जी के गठबंधन से अलग होने के फैसले ने लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी इंडिया गठबंधन को पश्चिम बंगाल में जोर का झटका दे दिया है. ममता के इस ऐलान के साथ ही विपक्षी इंडिया गठबंधन की तस्वीर और भविष्य पर संकट के बादल गहरे हो गए हैं. हालत यह है कि गठबंधन बनने से पहले टूटता नजर आ रहा है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इससे बीजेपी को फायदा पहुंचेगा.

ममता ने जाहिर की नाराजगी
इंडिया गठबंधन से अलग होने के फैसले लेते हुए ममता बनर्जी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के साथ मेरी कोई चर्चा नहीं हुई. मैंने हमेशा कहा है कि बंगाल में हम अकेले लड़ेंगे. मुझे इस बात की चिंता नहीं है कि देश में क्या किया जाएगा लेकिन हम एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है और बंगाल में हैं. हम अकेले ही बीजेपी को हरा देंगे. ममता बनर्जी ने कहा कि मैंने जो भी सुझाव दिए वह सभी नकार दिए गए.ऐसे में हमने बंगाल में अकेले रहने का फैसला किया है. उन्होंने यह भी कहा कि मैं इंडिया गठबंधन का हिस्सा हूं. राहुल गांधी की न्याय यात्रा हमारे राज्य से गुजर रही है लेकिन हमें इसके बारे में सूचित नहीं किया गया है.

अधीर रंजन के बयान ने भी बढ़ाई थी तल्खी
ममता बनर्जी कांग्रेस से नाराज है कि उनकी बातों को तवज्जो नहीं दिया जाता है. उसपर से राहुल गांधी के बंगाल जाने की जानकारी भी ममता बनर्जी को कांग्रेस की ओर से नहीं दी गई. सबसे ज्यादा ममता बनर्जी इस कारण से भी नाराज थी कि कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने अपने सीट शेयरिंग को लेकर तीखा बयान दे दिया था. दरअसल, सीट शेयरिंग के मुद्दे पर टीएमसी ने साफ कर दिया था कि वह कांग्रेस को बंगाल दो सीटें देगी. इसपर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि हम पहले भी बंगाल में दो सीट जीते थे अब भी जीत लेंगे इसके लिए किसी की भीख क्यों लें. बता दे, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल की 42 में से दो सीटों पर जीत हासिल की थी.

गौरतलब है कि बीजेपी को हराने के लिए 28 विपक्षी पार्टियां इंडिया गठबंधन के बैनर तले एक मंच पर आई थीं. लेकिन, अस्तित्व में आने के बाद से ही गठबंधन की गांठ लगातार ढीली पड़ती जा रही है. पहले यूपी की पूर्व सीएम और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने गठबंधन में शामिल होने से नकार दिया. इसके बाद अखिलेश ने साफ कर दिया कि जब तक सीटों पर बात नहीं हो जाती वो इसके समर्थन में नहीं आएंगे. नीतीश कुमार की नाराजगी भी दिखाई दे रही है. भले ही उन्होंने खुद संयोजन बनना अस्वीकार किया हो, लेकिन जिस तरह से शुरुआत में उन्हें नजर अंदाज किया गया उससे उनके मन में नाराजगी होगी ही. इसी कड़ी में अब ममता बनर्जी ने साफ कर दिया कि वो गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेंगी.

बंगाल में बीजेपी को फायदा होगा या नुकसान
ममता बनर्जी के इंडिया गठबंधन से किनारा कर लेने से इंडिया गठबंधन को झटका तो लगा है लेकिन क्या इस फैसले से बीजेपी को फायदा होगा. अगर बीते लोकसभा चुनावों के रिजल्ट देखें तो इससे बीजेपी को फायदा होता नजर आएगा. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में सभी पार्टियां अकेले लड़ी थीं. जिससे बीजेपी को काफी फायदा हुआ था. 2019 के चुनाव में कांग्रेस, टीएमसी लेफ्ट सभी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. और तीनों को ही नुकसान उठान पड़ा था. कांग्रेस को 2 सीटों और लेफ्ट को भी 2 सीटें का नुकसान उठाना पड़ा था. वहीं, टीएमसी को सबसे ज्यादा 12 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था. वहीं बीजेपी को 18 सीटों पर जीत मिली थी. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर सभी दल अकेले चुनाव लड़ते हैं तो बीजेपी को फायदा हो सकता है.

लगातार कमजोर हो रहा इंडिया गठबंधन
बीजेपी को लोकसभा चुनाव 2024 में पटकनी देने के लिए 28 विपक्षी दलों ने इंडिया गठबंधन बनाया. लेकिन शीट शेयरिंग और कौन बनेगा पीएम का चेहरा जैसे मुद्दे को लेकर गठबंधन में सामंजस्य नहीं बन पा रहा है. क्षेत्रीय दल अपना हित साधने में लगे है, तो कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी अपने वर्चस्व छोड़ने को तैयार नहीं है. इन्ही पेंचों के चलते गठबंधन में टूट सामने आ रहा है. हाल के दिनों में जेडीयू ने कहा था कि दिल्ली में ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक में बिना तैयारी के कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का नाम पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ऐलान कर दिया. जेडीयू ने कहा यह सही नहीं था. जेडीयू ने यह भी कहा था कि कांग्रेस की बजाये ‘इंडिया’ गठबंधन के बैनर तले यात्रा का आगाज होता तो इससे काफी फायदा होता.

बीजेपी को हो सकता है फायदा
साल 2014 से बीजेपी लगातार केंद्र की सत्ता में है. 2019 के चुनाव में पार्टी ने 303 सीटों से बड़ी जीत दर्ज की थी. ऐसे में विपक्षी दलों ने इंडिया गठबंधन के बैनर तले चुनाव लड़कर बीजेपी को चित्त करने की योजना बनाई है. लेकिन जिस तरह इंडिया गठबंधन में मतभेद उभर कर सामने आ रहे हैं उससे बीजेपी को ही फायदा पहुंचने के आसार नजर आ रहे हैं. साल 2023 में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव पर गौर करें तो इन राज्यों की जनता ने बीजेपी का खुलकर सपोर्ट किया है.राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी. पार्टी ने बड़े अंतर से चुनाव जीता. कांग्रेस को सिर्फ तेलंगाना में सरकार बनाने का मौका मिला. सबसे खास बात यह है कि तीन में से दो राज्य… छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की ही सरकार थी. उसपर भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा.

बिहार में बीजेपी की सर्जिकल स्ट्राइक
एक तरफ इंडिया गठबंधन में दरार पड़ती जा रही है. तो वहीं लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने बिहार में मास्टर स्ट्रोक मार दिया है. बिहार के पूर्व सीएम एवं जननायक कहे जाने वाले कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया गया है. बीजेपी के इस कदम से माना जा रहा है कि पार्टी ने लोकसभा चुनाव से पहले बिहार के अति पिछड़ा वोट बैंक को साधने की कोशिश की है. अति पिछड़ा वर्ग को बिहार में जेडीयू की कोर वोटर माना जाता है. ऐसे में बीजेपी ने जेडीयू के कोर वोटरों में सेंधमारी की कोशिश कर दी है. राजनीतिक गलियारों में कयास लगाये जा रहे हैं कि इसका फायदा पार्टी को लोकसभा चुनाव के साथ ही 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में भी होगा.

राम मंदिर से बढ़ी है देश में बीजेपी की प्रतिष्ठा
इन सबके अलावा हाल के दिनों में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम संपन्न हुआ है. रामलला मंदिर के दरवाजे आम लोगों के लिए खोल दिए गए हैं. राम मंदिर शुरू से ही बीजेपी के मुख्य चुनावी मुद्दों में से एक रहा है. राम मंदिर के सहारे बीजेपी ने दो सीटों से 303 सीटों का सफर तय किया है. वहीं, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन को बीजेपी का आयोजन बताकर विपक्षी दलों ने खुद ही इसे बीजेपी का कार्यक्रम घोषित कर दिया है. इसके अलावा पीएम मोदी की अपील पर जिस तरह देश के कोने-कोने में राम ज्योति जली उससे इतना तो साफ है कि बीजेपी की प्रतिष्ठा में इजाफा हुआ है. हालांकि यह प्रतिष्ठा वोट बैंक में शामिल होती है या नहीं यह तो आने वाले लोकसभा चुनाव में ही साफ हो पाएगा. 

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